राफेल मरीन फाइटर जेट, फोटो - सोशल मीडिया
नई दिल्ली : भारत की रक्षा ताकत में आज एक और सुनहरा अध्याय जुड़ने जा रहा है। आज यानी 28 अप्रैल को भारत और फ्रांस के बीच 63,000 करोड़ रुपये की बड़ी डील पर हस्ताक्षर होने वाला है, जिसके तहत भारत को 26 राफेल मरीन (Rafale Marine) कॉम्बैट एयरक्राफ्ट मिलेंगे।
इस ऐतिहासिक समझौते में फ्रांस की ओर से भारत में मौजूद फ्रांसीसी राजदूत और भारत की ओर से रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह हस्ताक्षर करेंगे। दोनों देशों के रक्षा मंत्री भी इस समारोह में वर्चुअल रूप से शामिल होने वाले हैं।
यह डील साउथ ब्लॉक स्थित रक्षा मंत्रालय मुख्यालय के बाहर एक खास आयोजन में साइन की जाएगी। पहले खबर थी कि फ्रांस के रक्षा मंत्री व्यक्तिगत रूप से इस कार्यक्रम में भाग लेंगे, लेकिन निजी कारणों की वजह से उन्होंने अपनी यात्रा रद्द कर दी।
मौजूदा समय में भारतीय नौसेना को अपने विमानवाहक पोतों के लिए अत्याधुनिक लड़ाकू विमानों की सख्त जरूरत है। मौजूदा MiG-29K फ्लीट में रखरखाव संबंधी समस्याओं के कारण कई बार परफॉर्मेंस में दिक्कतें सामने आई हैं। ऐसे में राफेल मरीन जेट्स को आईएनएस विक्रांत पर तैनात किया जाएगा, जो पहले से ही भारतीय नौसेना में सेवा दे रहा है।
राफेल मरीन जेट्स को भारतीय जरूरतों के अनुसार कस्टमाइज किया जाएगा और इन्हें एयरक्राफ्ट कैरियर पर आसानी से ऑपरेट करने के लिए तैयार किया जाएगा। ये फाइटर जेट्स एक अस्थायी समाधान के तौर पर लाए जा रहे हैं, जब तक कि भारत का स्वदेशी कैरियर-बोर्न फाइटर जेट पूरी तरह से विकसित नहीं हो जाता।
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पहले से ही भारतीय वायुसेना 36 राफेल एयरक्राफ्ट का बेड़ा संचालित कर रही है, जो अंबाला और हासीमारा एयरबेस पर तैनात हैं। इस नए सौदे के साथ भारत के पास अब कुल 62 राफेल फाइटर जेट्स होंगे, जिससे हमारी 4.5 जनरेशन की लड़ाकू क्षमताओं में जबरदस्त इजाफा होगा।