श्रेया यादव (सोर्स:- सोशल मीडिया)
नई दिल्ली: दिल्ली के राजेंद्र नगर में IAS कोचिंग में हुए हादसे ने सैकड़ों लोगों की आखें नम कर दी है। व्यथा तो ये है जान गवाएं तीनों छात्रों को घरवालों की बात करें तो उनके ऊपर तो दुखों का पहाड़ टूट गया है। आईएएस बनने का सपना लेकर घर से दिल्ली आएं छात्र उनको क्या पता था कि शासन-प्रशासन की लापरवाही ही उनकी मौत का कारण बन जाएंगी।
तीन छात्रों की मौत में एक युवती जिसका नाम श्रेया यादव था, उनकी मां ने अपनी बेटी के जाने के बाद अपनी व्यथा बताई है। जहां उन्होने कहा कि श्रेया ने अंतिम कॉल पर उनसे बात करने के दौरान कहा था कि उसे सबकी बहुत याद आती है। वह अपना सपना पूरा करके वापस आएगी। लेकिन इस घटना के बाद श्रेया के घर पर मातम छा गया।
अपनी मां से IAS बनने का वादा करने वाली श्रेया ने अपना वादा तोड़ दिया। भावूक पल है और सच कहूं तो इस खबर को लिखते हुए भी मन व्याकुल हो रहा है। आखिर क्या गुजर रही होगी उस मां पर जिसने इतनी हिम्मत से अपनी बेटी को सपने पूरे करने के लिए दिल्ली भेजा था, लेकिन प्रशासन की लापरवाही ने श्रेया यादव की जान ले ली।
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ये बाते तो हमारी भावनाएं थी चलिए एक बार फिर श्रेया के परिवार की बात करते है। श्रेया के परिवार के लोग खूब रो रहे हैं। उन्हें यकीन ही नहीं हो रहा कि आईएएस बनने गई श्रेया का शव घर आ गया है। श्रेया की मां शांति आंखों में आंसू भरकर कहती हैं कि घटना से एक दिन पहले ही उन्होंने अपनी बेटी से फोन पर बात की थी। उसने कहा था कि उसे सबकी बहुत याद आती है। उसने सबका हालचाल पूछा था और कहा था कि वह अपना सपना पूरा करके वापस आएगी।
लेकिन जब उसकी मौत की खबर आई तो वे हिल गए। श्रेया की मां ने बेसमेंट में कोचिंग सेंटर चलाने पर सवाल उठाए और दोषियों पर कार्रवाई की मांग की। उन्होंने बताया कि उनकी बेटी ने कहा था कि वह आईएएस अफसर बनकर वापस आएगी, लेकिन कौन जानता था कि ऐसा हो जाएगा। हम बेसहारा रह गए। हमारी बेटी चली गई। इससे बड़ा दुख और क्या हो सकता है?
श्रेया के घरवाले लगातार रूप से उसकी किताबें, नोट्स आदि देख कर भावुक हो रहे है। घर वाले केवल यही कह रहे है कि बेटी का सपना आईएएस बनने का था, लेकिन प्रशासन की लापरवाही ने उसकी जिंदगी खत्म कर दी।
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श्रेया की मौसी का कहना है कि बेटी अफसर बनने गई थी। सारे सपने चकनाचूर हो गए। वह पढ़ाई में बहुत अच्छी थी। हमेशा कहती थी कि छोटी-मोटी नौकरी नहीं करूंगी। हम मरते दम तक उसका चेहरा नहीं भूल पाएंगे।
श्रेया की मौसी ने आगे कहा कि उसने अप्रैल में कोचिंग ज्वाइन की थी, जुलाई में उसकी मौत की खबर आई। आखिर ऐसे तहखाने में कोचिंग क्यों चलाएं कि एक मां के सपने भी उसमें दफन हो जाएं। जो हमारे साथ हुआ, वह किसी और के साथ न हो। प्रशासन पूरी तरह से लापरवाह है।