बिहार में विधानसभा चुनाव 2025 का आगाज होने से पहले ही सभी राजनीतिक पार्टियां दांव पेंज शुरू कर चुकी हैं। जहां एक ओर राहुल गांधी वोट चोरी का मुद्दा जमकर उठा रहे हैं तो दूसरी ओर बीजेपी बिहार में अपना कुनबा बढ़ाने और मजबूत करने में जुटी है। चुनाव को लेकर राज्य में हलचल तेज हो गई है और सभी अपने स्तर पर प्रयास करने में लगे हुए हैं।
बिहार विधानसभा चुनाव लगभग तीन महीने पहले लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने सासाराम से वोटर अधिकार यात्रा की शुरुआत की है। उनके साथ मंच पर तेजस्वी यादव, लालू यादव सहित अन्य सहयोगी दलों के नेता भी दिखाई दे रहे हैं। विपक्षी राजनीतिक दल अपने तरीके से चुनाव आयोग पर बिहार में एसआईआर के माध्यम से वोट चोरी का मुद्दा जमकर उठा रहे हैं।
राहुल गांधी की वोटर अधिकार यात्रा बिहार के 25 जिलों से होकर गुजरेगी और यह 15 दिन तक चलेगी। इस दौरान उनके साथ मल्लिकार्जुन खड़गे, लालू यादव, मुकेश सहनी, नेता दीपांकर सहित इंडिया ब्लॉक के कई नेता एकजुट नजर आ रहे हैं। बिहार चुनाव में इस बार कांग्रेस सहयोगी दलों को एक साथ लेकर चल सकती है।
राहुल गांधी ने लोकसभा चुनावों से पहले भारत जोड़ो यात्रा की थी और उसके बाद उन्होंने न्याय यात्रा भी की। दोनों यात्राओं का कांग्रेस और राहुल गांधी की छवि पर गहरा प्रभाव पड़ा। उसी तरह वोटर अधिकार यात्रा का फर्क चुनावों में देखा जा सकता है। भारत जोड़ो यात्रा के जरिए राहुल गांधी ने लोगों से जुड़ने की कोशिश की थी।
न्याय यात्रा में राहुल गांधी ने लोगों से जुड़े मुद्दे उठाए और उन्हें न्याय दिलाने का वादा किया। इस दौरान उन्होंने किसानों, महिलाओं और युवाओं जैसे हर संभावित वोट बैंक को जोड़ने की कोशिश की। उन्हें यूपी में अखिलेश यादव का साथ मिला था। लेकिन नीतीश कुमार मौका देखते ही निकल लिए।
वोटर अधिकार यात्रा विपक्ष को साथ लेकर चलने का अच्छा प्रयास लग रहा है। राहुल गांधी का न्याय यात्रा के बाद रायबरेली के साथ अमेठी में जीत, सांसदों का बढ़ जाना एक सकारात्मक परिणाम के रूप में देखे जा सकते हैं। बिहार में राहुल गांधी की वोटर अधिकार यात्रा क्या परिणाम लेकर आती है यह देखना दिलचस्प होगा।