हिंडनबर्ग की नई रिपोर्ट (सोर्स:- सोशल मीडिया)
नई दिल्ली: हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट ने एक बार फिर भारत की राजनीति में घमासान मचा दिया है। जहां एक नई रिपोर्ट पर भारत की राजनीतिक पार्टियों में विवाद शुरू हो गया है। विपक्ष इस नई रिपोर्ट को लेकर केंद्र सरकार पर जमकर निशाना साध रहा है तो वहीं बीजेपी भी विपक्ष के तंज पर बराबर रूप से पलटवार कर रही है।
कल यानी शनिवार 10 अगस्त को हिंडनबर्ग ने पहले तो एक ट्वीट कर तहलका मचाया कि भारत में कुछ बड़ा होने वाला है। इसके बाद हिंडनबर्ग रिसर्च ने एक रिपोर्ट जारी कर आरोप लगाया कि व्हिसलब्लोअर से प्राप्त दस्तावेजों से पता चलता है कि सेबी की अध्यक्ष माधवी पुरी बुच की अडानी धन घोटाले में इस्तेमाल की गई अपतटीय संस्थाओं में हिस्सेदारी थी। हलांकि सेबी की चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच ने रविवार सुबह एक बयान जारी कर हिंडनबर्ग के साारे आरोप को खारिज कर दिया।
अमेरिकी शॉर्ट सेलर फर्म हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के बाद विपक्ष केंद्र सरकार और कारोबारी गौतम अडानी पर जबरदस्त रूप से हमलावर है। जहां कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दलों के नेताओं ने केंद्र सरकार पर जमकर निशाना साध है। जहां कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा कि सेबी प्रमुख और उनके पति पर लगे आरोप गंभीर हैं। मुझे विस्तृत जानकारी नहीं है। लेकिन ऐसे आरोपों की गहन जांच होनी चाहिए।
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हिंडनबर्ग के रिपोर्ट के बाद यूबीटी शिवसेना की दिग्गज नेता प्रियंका चतुर्वेदी ने एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा हमें अब पता चला है कि हमारे पत्रों का कोई जवाब क्यों नहीं दिया गया और उन पर विचार क्यों नहीं किया गया। हमाम में हर कोई नंगा है। इसके साथ ही इस मामले में कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने भी कटाक्ष करते हुए कहा कि अडानी महाघोटाले की जांच करने में सेबी की अजीबोगरीब अनिच्छा लंबे समय से देखी जा रही है। सच तो यह है कि देश के शीर्ष अधिकारियों की मिलीभगत का पता ‘अडानी महाघोटाले’ की पूरी जांच के लिए जेपीसी गठित करके ही लगाया जा सकता है।
विपक्ष के लगातार सवाल के बाद बीजेपी के दिग्गज नेता सुधांशु त्रिवेदी ने कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दलों पर पलटवार किया। जहां उन्होने कहा कि पिछले कुछ सालों से जब भी संसद सत्र शुरू होता है तब विदेश में कोई न कोई रिपोर्ट जारी हो जाती है। पीएम मोदी पर डॉक्यूमेंट्री संसद सत्र से ठीक पहले जारी की गई थी। हिंडनबर्ग की रिपोर्ट संसद सत्र से ठीक पहले जनवरी में आई थी। ये सभी घटनाक्रम संसद सत्र के दौरान होते हैं।
सुधांशु त्रिवेदी ने विपक्ष के तार विदेशों से जुड़े होने का आरोप लगाते हुए कहा कि विपक्ष के विदेशों के साथ ऐसे तार जुड़े हैं जो भारत के हर संसद सत्र के दौरान अस्थिरता और अराजकता पैदा करते हैं। वे भ्रम के माध्यम से भारत में आर्थिक अराजकता पैदा करना चाहते हैं। अब वे सेबी पर हमला कर रहे हैं। कांग्रेस पिछले 30-40 सालों से विदेशी कंपनियों के साथ क्यों खड़ी है? वह यूनियन कार्बाइड के साथ क्यों खड़ी हुई? मैं पूछना चाहता हूं कि विदेश की संस्थानों से यह कौन सा याराना है कि भारत की आर्थिक संस्था के हर विषय के ऊपर आपका निशाना है।
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हिंडनबर्ग के आरोप के बाद सेबी की चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच ने रविवार सुबह एक बयान जारी कर पूरी तरह से इस आरोप का खंडन किया। उन्होने कहा कि 10 अगस्त को हिंडनबर्ग रिपोर्ट में लगाए गए आरोप निराधार हैं और उनमें कोई सच्चाई नहीं है। हमारा जीवन और वित्तीय स्थिति एक खुली किताब की तरह है। हमें जो भी जानकारी देनी थी, वह सारी जानकारी पिछले सालों में सेबी को दे दी गई है।
चलिए अब आपको हिंडनबर्ग के आरोप के बारे में बताते है। कल यानी 10 अगस्त को हिंडनबर्ग रिसर्च रिपोर्ट में आरोप लगाया गया कि सेबी की वर्तमान प्रमुख माधबी बुच और उनके पति के पास अडानी धन हेराफेरी घोटाले में इस्तेमाल किए गए दोनों अस्पष्ट ऑफशोर फंड में हिस्सेदारी थी। इसके साथ ही हिंडनबर्ग रिसर्च ने अपने नए रिपोर्ट में इस बात का भी दावा किया कि 2023 में अदाणी समूह पर अपनी रिपोर्ट जारी की थी, लेकिन सेबी ने समूह पर कार्रवाई नहीं की।