आदिवासी वोट बैंक के लिए बीजेपी ने चंपई सोरेन पर जताया भरोसा
रांची: झारखंड में विधानसभा के चुनाव होने वाले है। जिसको लेकर राजनीतिक पार्टियों ने अपनी-अपनी तैयारी तेज कर दी है। वो कहावत है ना कि जब लोहा गर्म हो तभी हथौड़ा मारना चाहिए, शायद इस चुनाव में बीजेपी ने झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन को अपने खेमे में शामिल कर इसी कहावत को दोहराया है।
चंपई सोरेन को बीजेपी में शामिल करवाने में सबसे बड़ा हाथ असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा का माना जा रहा है। क्योंकि सीएम सरमा और चंपई सोरेन एक अच्छे दोस्त माने जाते है और चंपई सोरेन झारखंड चुनाव में एक गेम चंजर भी साबित हो सकते है। जाहिर सी बात है कि पूर्व सीएम सोरेन के पास एक बड़ा आदिवासी वोट बैंक जो है और बीजेपी इस चुनाव में अपनी राह आसान बनाने के लिए चंपई सोरेन पर चुनावी दाव खेलने से पिछे नहीं हटेगी।
इसको ऐसे समझिए कि भ्रष्ट्राचार मामले में झारखंड के सीएम हेमंत बिस्वा सरमा जेल जाते है जिसके बाद झारखंड मुक्ति मोर्चा पार्टी के सामने एक बड़ी चुनौती सामने आती है कि अब झारखंड की सीएम कौन बनेगा, बीजेपी घात लगाकर सत्ता अपने हाथों में लेने के लिए तैयार बैठी थी जहां झारखंड मुक्ति मोर्चा की ओर से चंपई सोरेन ने पदभार संभालते हुए झारखंड के सीएम के तौर पर शपथ ग्रहण कर JMM की डूबती नईया को बचाया।
वहीं जब हेमंत सोरेन जेल से बाहर आते है तो पार्टी और हेमंत सोरेन ने चंपई सोरेन के ऊपर सीएम पद से इस्तीफा देने का दवाब बनाया। जिस बात से क्रोधित होकर चंपई सोरेन ने पार्टी को छोड़ दिया और बीजेपी में शामिल हो गए। जानकारी के लिए बता दें कि चंपई सोरेन झारखंड मुक्ति मोर्चा के वरिष्ठ नेता होने के साथ-साथ पार्टी के संस्थापक सदस्य भी है।
ये भी पढ़ें:- चंपई सोरेन ने थामा बीजेपी का दामन, नाराज होकर छोड़ा था JMM
बीजेपी के अखाड़े के लिए अपने जैसा नेता तैयार कर रहे असम के सीएम हिमंत बिस्वा सरमा ने चंपई सोरेन के बीजेपी शामिल होने को लेकर पहले ही घोषणा करते हुए कहा था कि झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और हमारे देश के सम्मानित आदिवासी नेता चंपई सोरेन जी ने कुछ समय पहले माननीय केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह जी से मुलाकात की। वे 30 अगस्त को आधिकारिक तौर पर रांची में भाजपा में शामिल होंगे। अब सरमा की उत्सुकता और चुनावी समीकरण साफ तौर पर इशारा कर रहे है कि चंपई सोरेन के जरिए बीजेपी आदिवासी वोट बैंक में सेंध लगाने की तैयारी में है।
कोल्हान टाइगर’ के नाम से लोकप्रिय चंपई सोरेन का झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के एक प्रमुख नेता से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल होने तक का सफर कई उतार-चढ़ावों से भरा रहा है। किसी समय झामुमो प्रमुख शिबू सोरेन के करीबी सहयोगी रहे चंपई सोरेन को अब झारखंड के आदिवासी क्षेत्र में पैर जमाने के भाजपा के प्रयासों के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है, जहां कुल मतदाताओं में से लगभग 26 प्रतिशत अनुसूचित जनजातियों से हैं।
झारखंड में होने वाले विधानसभा चुनाव में बीजेपी जानती है कि झारखंड में आदिवासी वोट जीत के लिए प्रमुख है, शायद इसी कारण बीजेपी और हिमंत बिस्वा सरमा ने चंपई सोरेन पर इतना बड़ा दाव खेलकर उन्हें अपने खेमे में लिया है, और दांव हो भी क्यों ना चंपई सोरेन के साथ एक बड़ा आदिवासी वोर्ट बैंक जो जुड़ा है और भईया बीजेपी इस बात को जानते हुए इस मौके को नहीं छोड़ सकती है।
ये भी पढ़ें:- छत्रपति शिवाजी की प्रतिमा गिरने पर PM मोदी का बयान, सिर झुकाकर मांगी माफी
झारखंड मुक्ति मोर्चा पार्टी को नाराज होकर छोड़ने के बाद चंपई सोरेन के लिए आदिवासी समूह के मन में एक सहानुभूति भी आ गई है। चंपई सोरेन के गांव के आदिवासियों का कहना है कि चंपई के साथ अन्याय हुआ है। उन्हें अपमानित किया गया। उन्हें जबरन मुख्यमंत्री पद से हटा दिया गया। चंपई सोरेन की वजह से झारखंड मुक्ति मोर्चा आगे बढ़ा है। अब विधानसभा चुनाव में झारखंड मुक्ति मोर्चा को नुकसान हो सकता है। पार्टी को चंपई को ही मुख्यमंत्री बनाए रखना चाहिए था। भविष्य में वे जो भी कदम उठाएंगे, हम उसका समर्थन करेंगे। वहीं, कुछ लोगों ने यह भी कहा कि अगर वे बीजेपी के साथ जाते हैं तो हम उनका समर्थन नहीं करेंगे।