हरिद्वार से कोलकाता तक गंगा का बहाव (कांसेप्ट फोटो-सौ. से सोशल मीडिया)
प्रयागराज : देश की तीर्थनगरी प्रयागराज में लगने वाले महाकुंभ 2025 मेले पर सबकी नजर है। इसी दौरान प्रयागराज स्थित मोतीलाल नेहरू राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (MNNIT) ने एक बड़ी पहल शुरू करने का ऐलान किया है। वह भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान हैदराबाद (IIT) के साथ मिलकर हरिद्वार से लेकर कोलकाता तक गंगा के पानी की जांच करेगा। साथ ही साथ गंगा का हेल्थ इंडेक्स तैयार करने की कोशिश में जुटेगा।
जानकारी में बताया जा रहा है कि गंगा के पानी को साफ और सुरक्षित करने के लिए इस अभियान को शुरू किया जा रहा है। यह प्रोजेक्ट नमामि गंगे योजना के तहत गंगा की स्वच्छता को और बढ़ावा देने के लिए तथा गंगा के जल की गुणवत्ता को पुनर्जीवित करने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।
हरिद्वार से कोलकाता तक गंगा के पानी की जांच की तैयारी (कांसेप्ट फोटो, सौ. से सोशल मीडिया)
ऐसे तैयार होगा हेल्थ इंडेक्स
इस परियोजना के बारे में जानकारी देते हुए मोतीलाल नेहरू राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान के निदेशक प्रोफेसर आरएस वर्मा ने कहा कि गंगा नदी भारत की जीवन रेखा मानी जाती हैं, लेकिन बढ़ते प्रदूषण ने इसे गंभीर खतरे में डाल दिया है। गंगा के प्रदूषण के कारणों और समाधान के लिए प्रयागराज स्थित मोतीलाल नेहरू राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान हैदराबाद मिलकर काम करने जा रहा है। इस परियोजना के तहत हरिद्वार से कोलकाता तक गंगा नदी के पानी की हर लेवल की गहन जांच की जाएगी और उनके आंकड़ों को एकत्रित किया जाएगा। उसके बाद उसका विश्लेषण करते हुए गंगा के पानी की गुणवत्ता के आधार पर हेल्थ इंडेक्स (स्वास्थ्य सूचकांक) तैयार किया जाएगा।
गंगा के पानी की गुणवत्ता के आधार पर हेल्थ इंडेक्स तैयार किए जाने के बाद केंद्र सरकार को ऐसी सिफारिशें भेजी जाएंगी, जो गंगा की सफाई और संरक्षण के लिए जरूरी होंगी और इनके क्रियान्वयन के जरिए पानी की गुणवत्ता को सुधारा और बरकरार रखा जाएगा।
गंगा के पानी में बढ़ता प्रदूषण (सौ. से सोशल मीडिया)
IIT हैदराबाद है नोडल एजेंसी
मोतीलाल नेहरू राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान के निदेशक प्रोफेसर आरएस वर्मा ने कहा कि इस प्रोजेक्ट में IIT हैदराबाद नोडल सेंटर के रूप में कार्य करेगा और नदी से संबंधित डेटा का संग्रहण करने की जिम्मेदारी उसी के पास होगी। इसमें नदी के विभिन्न हिस्सों से पानी के नमूने इक्ट्ठा करना, प्रदूषण के स्रोतों की पहचान करना और प्रदूषकों के प्रकारों को वर्गीकृत करने का काम शामिल होगा।
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जैसे ही नोडल सेंटर के द्वारा इस कार्य को पूरा किया जाएगा तो उसके बाद MNNIT प्रयागराज की भूमिका शुरू होगी और यह डेटा के विश्लेषण का कार्य करेगा। इसमें मशीन लर्निंग, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और बिग डेटा एनालिटिक्स जैसे उन्नत तकनीकी उपकरणों का उपयोग किया जाएगा। MNNIT के द्वारा गंगा के प्रदूषण स्तर के ऐतिहासिक और वर्तमान डेटा की तुलना कर यह पता लगाएगा कि गंगा नदी के प्रदूषण के मुख्य स्रोत कौन-कौन से हैं, जैसे औद्योगिक कचरा, सीवेज या कृषि रसायन या अन्य कोई ऐसी चीज है जो गंगा को सबसे अधिक नुकसान पहुंचा रही है।
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दूरगामी परिणाम की उम्मीद
MNNIT के निदेशक प्रो. आरएस वर्मा ने बताया कि जल की गुणवत्ता, जैव विविधता और रासायनिक संरचना के आधार पर ही गंगा के हेल्थ इंडेक्स की रचना की जाएगी। प्रो. आरएस वर्मा का मानना है कि ऐसी रिपोर्ट गंगा को साफ और संरक्षित करने के लिए प्राथमिकता वाले क्षेत्रों को चिह्नित करने में मदद करने में बड़ी भूमिका निभाएगी। यह प्रोजेक्ट नमामि गंगे योजना के तहत गंगा की स्वच्छता को बढ़ावा देने और इसके जल की गुणवत्ता को पुनर्जीवित करने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम साबित हो सकता है, जिसका दूरगामी परिणाम देखने को मिलेगा।