(प्रतीकात्मक तस्वीर)
IndiGo Flight Cancellations: फेडरेशन ऑफ इंडियन पायलट्स (FIP) ने साफ तौर पर कहा है कि पिछले कुछ दिनों में इंडिगो की सैकड़ों फ्लाइट्स रद्द होने की असली वजह दिल्ली हाई कोर्ट के नए पायलट ड्यूटी टाइम (FDTL) नियम नहीं हैं। FIP के अनुसार, बाकी सभी एयरलाइंस पहले ही अतिरिक्त पायलट्स की भर्ती कर चुकी थीं, इसलिए नए नियम लागू होने पर उन्हें कोई खास दिक्कत नहीं आई।
FIP ने यह भी दावा किया कि इंडिगो की मौजूदा समस्या उसकी ही पुरानी गलत नीति का नतीजा है। कंपनी ने सालों से बहुत कम पायलट रखना ही अपनी रणनीति बना रखी थी। नए नियम आने की जानकारी उसे दो साल पहले से थी, फिर भी एयरलाइन ने नई भर्ती लगभग रोक दी। दूसरी कंपनियों से पायलट हायर करने पर रोक लगाने की कोशिश की, पायलट्स का वेतन नहीं बढ़ाया, और जरूरी प्लानिंग भी नहीं की।
इसका परिणाम यह हुआ कि जब नए नियम लागू हुए तो इंडिगो के पास पायलट्स की भारी कमी हो गई और उसे बड़ी संख्या में फ्लाइट्स रद्द करनी पड़ीं। अन्य एयरलाइंस ने पहले से तैयारी कर ली थी, लेकिन इंडिगो ने देरी की, इसी कारण यात्रियों को परेशानी झेलनी पड़ रही है।
FDTL के पहले चरण के 1 जुलाई 2025 को लागू होने और दूसरे चरण के 1 नवंबर 2025 से प्रभावी होने के बाद इंडिगो ने पायलटों की छुट्टियां घटाईं और बाद में छुट्टियां खरीदने का प्रयास किया, लेकिन अपेक्षित समर्थन नहीं मिला। FIP का कहना है कि इससे पायलटों और कर्मचारियों का मनोबल और गिर गया, जबकि इसी दौरान कंपनी के वरिष्ठ अधिकारियों को बड़े वेतन-वृद्धि पैकेज मिले।
FIP के अनुसार, सर्दियों के कोहरे वाले मौसम में जब घना कोहरा रहता है, तब फ्लाइट्स देर से उड़ान भरती और लैंड करती हैं। ऐसे समय में एयरलाइंस को सामान्य से अधिक पायलट रखने पड़ते हैं। इसके बावजूद इंडिगो ने अपने विंटर शेड्यूल में विस्तार किया, लेकिन न तो नए पायलट भर्ती किए और न ही ट्रेनिंग दी। FIP को आशंका है कि इंडिगो जानबूझकर इतनी बड़ी संख्या में फ्लाइट्स कैंसिल और लेट करवा रहा है ताकि सरकार और DGCA पर दबाव बनाया जा सके कि नए FDTL नियम बहुत कड़े हैं, जबकि असली समस्या कंपनी प्रबंधन की है।
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FIP का सुझाव है कि DGCA सर्दी या मानसून जैसे खास मौसम का शेड्यूल तभी मंजूर करे, जब एयरलाइन लिखित में यह साबित करे कि उसके पास नए FDTL नियमों के हिसाब से पर्याप्त पायलट मौजूद हैं। यदि कोई एयरलाइन पायलट कमी के कारण लगातार यात्रियों को परेशानी देती रहती है, तो DGCA उसके महत्त्वपूर्ण टेकऑफ–लैंडिंग स्लॉट्स वापस लेकर उन कंपनियों को दे दे जो पर्याप्त पायलट उपलब्ध रखती हैं, जैसे एयर इंडिया या अकासा। इससे यात्रियों को कम असुविधा होगी और एयरलाइंस पर नियम पालन का दबाव भी बढ़ेगा।