डॉ बिबेक देबरॉय (सौजन्य : सोशल मीडिया)
नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ही तरह वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण भी आज शोक में है। प्रधानमंत्री के इकोनॉमिक एडवाइजर और अर्थशास्त्री बिबेक देबरॉय का आज निधन हो गया है, जिसके कारण वित्त मंत्रायल से जुड़े सभी लोग शोकाकुल हैं। इसी सिलसिले में शोक व्यक्त करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि बिबेक प्राचीन ग्रंथों और संस्कृत के महान विद्वान थे। साथ ही उन्होंने बताया है कि देबरॉय नीति निर्माण में भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया करते थे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आर्थिक सलाहकार परिषद यानी ईएसी पीएम के चेयरमैन और अर्थशास्त्री बिबेक देबरॉय का 69 साल की उम्र में निधन हो गया है। जिसको लेकर वित्त मंत्रालय से जुड़े काफी लोग दुखी है।
सीतारमण ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा है कि ईएसी-पीएम के चेयरमैन के तौर पर देबरॉय ने नीति निर्माण में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। अन्य बातों के अलावा प्राचीन ग्रंथों, वैदिक एवं शास्त्रीय संस्कृत, देवी और रेलवे में उनकी विशेष रुचि थी। वे संस्कृत से अंग्रेजी में अनुवाद करने में बहुत कुशल थे।
It is with profound grief that I condole the demise of Shri. @bibekdebroy
As Chairman of PM Economic Advisory Council, he profusely participated in policy making. His interests, inter alia, were—ancient texts, Vedic and classical Sanskrit, Devi, Railways. He was prolific in… pic.twitter.com/780wodJIdj— Nirmala Sitharaman (@nsitharaman) November 1, 2024
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वित्त मंत्री ने कहा है कि देबरॉय ने अपनी किताब ‘सरमा एंड हर चिल्ड्रन’ में हमारे प्राचीन ग्रंथों के कुछ अंश का जिक्र कर अपनी अद्भुत क्षमता को दर्शाया। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि बिबेक, आपको अभी बहुत कुछ करना था और उसे पूरा करना था – हम सबकी खातिर!”
भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने भी देबरॉय को प्राचीन भारतीय शास्त्रों के महान ज्ञाता, लेखक और अर्थशास्त्री बताया। ईएसी-पीएम के सदस्य संजीव सान्याल ने कहा कि उन्होंने अपना ”एक मित्र, गुरु, मार्गदर्शक और सहयोगी खो दिया है।
देबरॉय के निधन से चार दिन पहले इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित एक लेख का हवाला देते हुए सान्याल ने एक्स पर लिखा था कि वे (देबरॉय) जानते थे। ब्लॉग में देबरॉय ने लिखा था, ”बाहर एक दुनिया है जो सच में मौजूद है। अगर मैं वहां नहीं हूं तो क्या होगा? वास्तव में क्या होगा? देबरॉय रामकृष्ण मिशन स्कूल, नरेंद्रपुर और प्रेसीडेंसी कॉलेज, कोलकाता के पूर्व छात्र थे। उन्होंने दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स के बाद ट्रिनिटी कॉलेज, कैम्ब्रिज से अपनी हायर स्टडी की थी।
(एजेंसी इनपुट के साथ)