मॉक ड्रील (सौजन्य-सोशल मीडिया, कंसेप्ट फोटो)
नई दिल्ली: पहलगाम हमले के बाद पाकिस्तान से तनाव के बीच बुधवार 7 मई को देश के 295 इलाकों में युद्ध के दौरान बचाव के तरीकों की मॉक ड्रिल होगी। गृह मंत्रालय ने इन इलाकों को सिविल डिफेंस डिस्ट्रिक्ट के तौर पर लिस्ट किया है। ये सामान्य प्रशासनिक जिलों से अलग हैं। सिविल डिफेंस डिस्ट्रिक्ट्स को उनकी संवेदनशीलता के आधार पर 3 कैटेगरी में बांटा गया है। कैटगरी-1 सबसे संवेदनशील और कैटेगरी-3 कम सेंसेटिव है।
गृह मंत्रालय ने 5 मई को सभी राज्यों को मॉक ड्रिल कराने के आदेश जारी किए थे। दिल्ली में गृह मंत्रालय में हुई हाईलेवल मीटिंग में मॉक ड्रिल की तैयारियों की समीक्षा की गई। इसमें राज्यों के मुख्य सचिव और सिविल डिफेंस चीफ समेत कई हाई रैंक ऑफिसर मौजूद थे।
गृह मंत्रालय ने मंगलवार को मॉक ड्रिल वाले जिलों की लिस्ट जारी की। इनमें राज्यवार संवेदनशीलता के आधार पर जिलों को बांटा गया है। देश के 25 राज्यों के कुल 244 सिविल डिफेंस डिस्ट्रिक्ट को कैटेगरी-1 से 3 के बीच रखा गया है। दरअसल, मिनिस्ट्री ऑफ होम अफेयर्स ने देश के कुल 35 राज्य और केन्द्र शासित प्रदेशों में 259 सिविल डिफेंस डिस्ट्रिक्ट बनाए हैं।
जरूरी नहीं ये सिविल डिफेंस डिस्ट्रिक्ट सामान्य एडमिनिस्ट्रेटिव डिस्ट्रिक्ट हों। जैसे उत्तर प्रदेश में कुल 19 सिविल डिफेंस डिस्ट्रिक्ट बनाए गए हैं। इनमें कानपुर, लखनऊ, मथुरा जैसे एडमिनिस्ट्रेटिव जिले भी हैं, और बक्शी-का-तालाब, सरवासा जैसे इलाके हैं जो लखनऊ और सहारनपुर में हैं। यहां एयर फोर्स स्टेशन मौजूद है।
कुल 259 सिविल डिफेंस डिस्ट्रिक्ट को इनके इंपोर्टेंस या सेंसेटिविटी के आधार पर 3 कैटेगरी में बांटा गया है। कैटेगरी 1 में वो डिस्ट्रिक्ट हैं जो सबसे सेंसेटिव हैं। ऐसे कुल 13 डिस्ट्रिक्ट हैं। जैसे- उत्तर प्रदेश में केवल 1 डिस्ट्रिक्ट – बुलंदशहर कैटेगरी 1 में है क्योंकि यहां नरौरा न्यूक्लियर प्लांट मौजूद है। इसी तरह कैटेगरी 2 में 201 जबकि कैटेगरी 3 में 45 डिस्ट्रिक्ट हैं।
देश में पिछली बार ऐसी मॉक ड्रिल 1971 में हुई थी। तब भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध हुआ था। यह मॉक ड्रिल युद्ध के दौरान हुई थी। हालांकि रविवार-सोमवार रात पंजाब के फिरोजपुर छावनी में ब्लैकआउट प्रैक्टिस की गई। इस दौरान गांवों और मोहल्लों में रात 9 बजे से 9:30 बजे तक बिजली बंद रही। इधर, लखनऊ, श्रीनगर और मुंबई में पुलिस, एसडीआरएफ समेत अन्य रेस्क्यू टीमों को युद्ध के दौरान बचने की ट्रेनिंग दी जा रही है।
गृह मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक, मॉकड्रिल के दौरान यह बताया जाएगा कि एयररेड और ब्लैकआउट की स्थिति में नागरिकों को क्या करना है। नागरिकों को हिदायत दी गई है कि वे मेडिकल किट, राशन, टॉर्च और मोमबत्तियां अपने घरों पर रखें। इसके अलावा कैश भी साथ रखें, क्योंकि इमरजेंसी में मोबाइल और डिजिटल ट्रांजेक्शन फेल हो सकते हैं।
1. एयररेड वॉर्निंग सिस्टम के दौरान अलर्टनेस चेक करना।
2. इंडियन एयरफोर्स के साथ हॉटलाइन और रेडियो कम्युनिकेशन जोड़ना।
3. मेन और सहयोगी कंट्रोल रूम की वर्किंग सही हो, यह सुनिश्चित करना।
4. हमले की स्थिति में आम लोगों, छात्रों को अपनी रक्षा करना सिखाना।
5. हमले की स्थिति में लोगों को सुरक्षित निकालने का प्लान और उसका एक्जीक्यूशन चेक करना।
6. ब्लैक आउट के दौरान उठाए जाने वाले सभी कदमों का रिव्यू करना।
7. ब्लैक आउट की स्थिति में क्या करना है, यह बताना।
8. महत्वपूर्ण संस्थानों और बड़े प्लांट्स को कैसे छिपाना है, यह बताना।
9. सिविल डिफेंस सिस्टम एक्टिवेट करना, इमरजेंसी में आम नागरिकों की मदद करने वाली टीम, फायरफाइटर्स, रेस्क्यू ऑपरेशन का मैनेजमेंट।