'लोकसभा में भी दलितों को बोलने नहीं दिया जाएगा', चंद्रशेखर आजाद ने क्यों कहा ऐसा?
नई दिल्ली: लोकसभा में शनिवार को संविधान के गौरवशाली 75 सालों की यात्रा पर चर्चा के दौरान उत्तर प्रदेश के नगीना से सांसद तथा आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) के अध्यक्ष चंद्रशेखर आजाद का अलग ही अंदाज देखने को मिला। लोकसभा में चर्चा के दौरान नगीना से सांसद चंद्रशेखर आजाद की सभापति से भी बहस हो गई तथा उन्होंने इतना तक कह डाला कि क्या यहां भी दलितों को बोलने नहीं दिया जाएगा।
लोकसभा में चंद्रशेखर आजाद ने कहा कि आर्थिक बराबरी के लिए सरकार क्या कर रही है। उन्होंने कहा कि अमीर और अमीर हो रहा है तथा गरीब और गरीब हो रहा है, सुबह उठते ही कहीं बम की धमकी मिलती है तो कहीं पर दंगे की ये अमृतकाल है या फिर धमकी काल है। इसी बीच जब सभापति ने उनको समय का हवाला दिया तो चंद्रशेखर आजाद ने कहा कि क्या दलितों को अब यहां भी बोलने नहीं दिया जाएगा, यह भेदभाव नहीं चलेगा। उन्होंने कहा कि क्या दलितों को सबसे बाद में बोलने का मौका मिलेगा।
जब सभापति ने उनसे कहा कि सभी दलीय स्वतंत्र सांसदों को 4 मिनट का समय दिया गया है। इस पर नगीना सांसद चंद्रशेखर आजाद नाराज हो गए और उन्होंने इस दौरान सख्त लहजे में कहा कि मैं अपनी पार्टी का मेंबर हूं सर और जीतकर आया हूं, किसी की दया पर नहीं आया। इसके बाद सभापति ने उनको एक मिनट में अपनी बात पूरी करने के लिए कहा।
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इसके बाद चंद्रशेखर आजाद ने कहा कि मूंछे रखने पर हत्या होती है और महिलाओं पर छोटे मासूम बच्चों पर रेप हत्या होती है। आजाद ने कहा कि NCRB का डेटा देखकर डर लगेगा। वहीं उन्होंने साथ ही कहा कि आर्टिकल 25-26 में संविधान में सभी को धार्मिक आजादी के बारे में बताया गया है लेकिन दलितों, मुस्लिमों, जैनों तथा इसाईयों की कहां है आजादी। सरकार आलोचना से डरती है और आजम खान को राजनैतिक विरोध की वजह से जेल में रखा गया है।