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International Cyber Fraud: केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने अंतरराष्ट्रीय साइबर धोखाधड़ी नेटवर्क का पर्दाफाश करते हुए 4 विदेशी नागरिकों सहित 17 आरोपियों और 58 कंपनियों के खिलाफ चार्जशीट दायर की है।
सीबीआई के अनुसार, यह मामला गृह मंत्रालय के अंतर्गत भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4सी) से प्राप्त सूचनाओं के आधार पर दर्ज किया गया था। शुरुआती तौर पर यह अलग-अलग ऑनलाइन ठगी की शिकायतें लग रही थीं, लेकिन गहन जांच में लोन ऐप, फर्जी निवेश योजनाओं, पोंजी और एमएलएम स्कीम, पार्ट-टाइम नौकरी के झूठे ऑफर और धोखाधड़ी वाले ऑनलाइन गेमिंग प्लेटफॉर्म के पीछे एक संगठित सिंडिकेट का खुलासा हुआ।
जांच में सामने आया कि साइबर अपराधियों ने गूगल विज्ञापनों, बल्क एसएमएस, एसआईए बॉक्स, क्लाउड सर्वर, फिनटेक प्लेटफॉर्म और सैकड़ों फर्जी बैंक खातों के जरिए एक जटिल डिजिटल ढांचा तैयार किया था। इसका उद्देश्य पीड़ितों से धन जुटाकर उसे कई स्तरों में घुमाते हुए असली नियंत्रकों की पहचान छिपाना था। जांच में सीबीआई को पता चला कि यह नेटवर्क देश के कई राज्यों में सक्रिय था और हजारों लोगों को ऑनलाइन ठगी का शिकार बना चुका था।
सीबीआई ने इस नेटवर्क की रीढ़ 111 शेल कंपनियों को बताया, जिन्हें फर्जी निदेशकों, गलत दस्तावेजों और झूठे पते के आधार पर बनाया गया था। इन कंपनियों के जरिए विभिन्न पेमेंट गेटवे पर मर्चेंट अकाउंट खोले गए। जांच में 1,000 करोड़ रुपए से अधिक के संदिग्ध लेन-देन का पता चला, जिसमें एक खाते में ही 152 करोड़ रुपए से अधिक की रकम जमा हुई थी।
कर्नाटक, तमिलनाडु, केरल, आंध्र प्रदेश, झारखंड और हरियाणा में 27 स्थानों पर तलाशी के दौरान डिजिटल उपकरण और अहम दस्तावेज जब्त किए गए। फोरेंसिक जांच से यह भी सामने आया कि विदेशी नागरिक विदेश से पूरे नेटवर्क को नियंत्रित कर रहे थे।
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सीबीआई ने चार विदेशी मास्टरमाइंड, उनके भारतीय सहयोगियों और 58 कंपनियों के खिलाफ आपराधिक साजिश, जालसाजी और अनियमित जमा योजना प्रतिबंध अधिनियम, 2019 के तहत मामला दर्ज किया है। यह कार्रवाई ऑपरेशन चक्र-V के तहत साइबर-सक्षम वित्तीय अपराधों के खिलाफ सीबीआई की सतत मुहिम का हिस्सा है। -एजेंसी इनपुट के साथ