बिहार में विधानसभा चुनाव कुछ ही महीनों में आने वाले हैं। ऐसे में राज्य में चुनावी हलचल काफी ज्यादा बढ़ गई है और सभी राजनीतिक पार्टियां चुनाव की तैयारियों में जुट गई हैं। हालांकि कुछ चीज है जो चुनाव के नतीजों को प्रभावित कर सकती है।
बिहार में विशेष पुनरीक्षण संशोधन (SIR) के बाद करीब 65 लाख वोटरों के नाम मतदाता सूची से हटाए गए हैं। इसके लिए चुनाव आयोग ने वोटर लिस्ट का ड्राफ्ट जारी किया है। जानकारी के अनुसार जिन सीटों पर वोटरों के नाम हटाए गए हैं वहां पर SIR तीन तरह से असर डाल सकता है।
चुनाव आयोग द्वारा जारी सूची में 7.96 करोड़ रजिस्टर मतदाताओं में से ड्राफ्ट वोटर लिस्ट में 22.34 लाख वोटर मृत मिले हैं। वहीं, 36.28 लाख कहीं और ट्रांसफर हो गए हैं और 7.01 लाख नाम कई जगहों पर दर्ज हैं। इन लोगों के नाम को ड्राफ्ट वोटर लिस्ट से हटाया गया है।
SIR द्वारा जारी लिस्ट में सर्वाधिक वोटरों के नाम पटना जिले से हटाए गए हैं जिसके बाद मधुबनी और पूर्वी चंपारण दूसरे और तीसरे नंबर पर है। हालांकि सवाल यह है कि 65 लाख वोटरों का नाम मतदाता सूची से कटना 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव कैसे प्रभाव डालता है।
पहला असर वंचित, दलित व गरीब वर्ग का वोटर शामिल है जो SIR में औपचारिक दस्तावेज नहीं दे पाया और नाम कट गया। दूसरा मुस्लिम बहुल विधानसभा सीटों पर जो राजद और कांग्रेस गठजोड़ का खास वोट बैंक है। इसके अलावा बिहार 2020 के चुनाव में कुल मतदान 54.63 फीसदी था जो प्रभावित हो सकता है।
बिहार में कुल 243 विधानसभा सीटें है और ऐसे में 65 लाख लोगों का वोटर लिस्ट से नाम कटना चुनावी नतीजों पर बड़ा असर डाल सकता है। जिन सीटों पर वोटरों की संख्या ज्यादा कम होगी वहां चुनावी परिणाम प्रभावित हो सकते हैं।