बिहार में आगामी चुनाव की तैयारियां जोरों पर है। सभी राजनीतिक पार्टियां बिहार विधानसभा की अलग-अलग सीटों पर अपना दमखम लगा रही हैं। जहां बिहार का मिथिलांचल इलाका चुनावों में अहम योगदान रखता है। जिसमें सात जिले आते हैं। मुजफ्फरपुर, समस्तीपुर, मधुबनी, दरभंगा, सीतामढ़ी, वैशाली और सहरसा सीटें इसमें शामिल हैं।
बिहार के मिथिलांचल इलाके में कुल 60 सीटें है और यहां ब्राह्मण, राजपूत, यादव,अति पिछड़ा वर्ग और दलित समुदाय की आबादी है। इस इलाके में ब्राह्मण और राजपूत बीजेपी के कोर वोटर माने जाते हैं। वहीं, ईबीसी और कुछ यादव वोटर्स जेडीयू और आरजेडी के बीच बटे हैं। मिथिलांचल में मुस्लिम आबादी भी कुछ क्षेत्रों में प्रभावी है।
मिथिलांचल में कभी लालू यादव की पार्टी आरजेडी का सिक्का चलता था। ब्राह्मण बाहुल्य इस इलाके में 55 पिछड़ी और अति पिछड़ी जातियां के मतदाता की संख्या ज्यादा है। इन्हें पचपनिया के नाम से जाना जाता है। साल 2005 के बिहार चुनाव में एनडीए और नीतीश कुमार के बाद इस इलाके में जेडीयू ने कब्जा जमाया।
साल 2020 के विधानसभा चुनाव में एनडीए ने मिथिलांचल की 60 में से 40 से ज्यादा सीटें जीती थी। वहीं, साल 2015 बिहार चुनाव में जेडीयू महागठबंधन के घटक दल के रूप में चुनावी मैदान में थे। इस चुनाव के बाद बीजेपी ने मिथिलांचल पर खास फोकस किया।
2020 बिहार चुनाव में मिथिलांचल इलाके में सीटों का समीकरण देखा जाए तो बीजेपी और जेडीयू की दोस्ती ने महागठबंधन का माहौल खराब कर दिया था। इस इलाके में एनडीए का दबदबा पूरी तरह से कायम रहा है। जिसको मजबूत बनाने के लिए इस बार चुनाव में पीएम मोदी से लेकर अमित शाह तक फोकस कर रहे हैं।
इस बार बिहार विधानसभा चुनाव में मोदी सरकार का खास फोकस मिथिलांचल पर रहा है। यहां सड़क से लेकर रेल परियोजनाओं तक की सौगात दी गई है। नीतीश सरकार में 9 मंत्री मिथिलांचल से आते हैं। जिसकी वजह से यहां पर अमित शाह ने हाल ही में सीता माता के मंदिर का शिलान्यास किया है। ऐसे में देखना दिलचस्प होगा की इस बार बीजेपी और जेडीयू की जोड़ी क्या मिथिलांचल पर कब्जा बरकरार रख पाएगी।