बिहार विधान चुनाव 2025 को लेकर राजनीतिक पार्टियों ने तैयारियां शुरु कर दी है। जिसमें सभी दल अपने-अपने हिस्से की सीटों को लेकर चर्चा कर रहे हैं। जिसकी वजह से आगामी चुनाव में सहयोगी दलों की बढ़ती राजनीतिक महत्वाकांक्षाएं और सीमित संसाधन के बीच तालमेल बिठाना गठबंधन नेतृत्व के लिए चुनौती बनता जा रहा है।
महागठबंधन बिहार में राजनीतिक दलों का एक गठबंधन है जो 2015 के विधानसभा चुनावों से पहले बनाया गया था। इसमें राष्ट्रीय जनता दल, जनता दल (यूनाइटेड), भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी सहित वामपंथी दल शामिल हैं। जिसके नेता नीतीश कुमार और अध्यक्ष तेजस्वी यादव हैं।
राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के नेतृत्व में अब तक महागठबंधन की पांच बैठक हो चुकी है जिसमें सीटों के बंटवारे को लेकर चर्चा हुई है। महागठबंधन में आरजेडी की स्थित अन्य दलों की तुलना में सबसे मजबूत है। साल 2020 के विधानसभा चुनाव में पार्टी ने 144 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे और 75 सीटों पर जीत दर्ज की थी।
कांग्रेस पिछले चुनावों में 70 सीटों पर चुनाव लड़ी थी और 19 पर जीत हासिल की थी। दावा किया जा रहा है कि इस बार भी पार्टी 50 सीटों की दावेदारी कर रही है। इसके अलावा सीपीआई ने 24 सीटों की सूची तेजस्वी यादव को सौंपी है।
विकासशील इंसान पार्टी (VIP) के प्रमुख और पूर्व मंत्री मुकेश सहनी ने बिहार में आगामी चुनाव के लिए 60 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। इसके अलावा सहनी ने उपमुख्यमंत्री पद की भी मांग रखी है। इस समय वीआईपी के पास बिहार विधानसभा में एक भी विधायक नहीं है। उनके चार विधायक भाजपा में शामिल हो चुके हैं।
महागठबंधन में सीटों का बंटवारा करना तेजस्वी यादव के लिए अग्निपरीक्षा से कम नहीं होगा। आरजेडी की भूमिका बनाए रखना और सहयोगी दलों को संतुलित करना उनके लिए एक चुनौती हो सकती है। गठबंधन की एकता बनाए रखना चुनावी रणनीति को मजबूत बनाती है। ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि पार्टी क्या निर्णय लेगी।