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नई दिल्ली: स्वतंत्रता सेनानी और भारत की कोकिला सरोजिनी नायडू के जयंती (Birth Anniversary of Sarojini Naidu) के मौके पर हर साल 13 फरवरी को महिला दिवस मनाया जाता है। महान स्वतंत्रता सेनानी सरोजिनी नायडू ने भारत के राष्ट्रीय आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई थी। सरोजिनी नायडू का जन्म 13 फरवरी 1879 को हैदराबाद में हुआ था। उन्होंने 12 साल की उम्र से ही कविताएं लिखने की शुरुआत की थी।
नायडू ने महज 12 की उम्र में ही मैट्रिक परीक्षा पास कर दी थी। वह 16 साल की उम्र में ही हायर एजुकेशन के लिए इंग्लैंड चली गईं। वहां, उन्होंने किंग्स कॉलेज, लंदन और गिरटन कॉलेज में पढ़ाई की। उनकी शादी डॉ. गोविंद राजालु नायडू के साथ 19 साल की उम्र में हुई। उन्होंने अंग्रेजी की पढ़ाई घर पर ही की। सरोजिनी अपनी पढ़ाई पूरी नहीं कर सकी, लेकिन वह अंग्रेजी में एक प्रतिभावान रही थी।
नायडू के राजनीती में कदम रखने के लिए गोपाल कृष्ण गोखले का 1906 में कलकत्ता में हुए भाषण ने काफी प्रभावित किया था। उन्होंने भारत में हो रहे महिलाओं के खिलाफ अन्याय के खिलाफ आवाज उठाई थी। साथ ही उन्होंने ने भारत के स्वतंत्रता के लिए हुए आंदोलन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। सरोजिनी नायडू पहली बार 1914 में महात्मा गांधी से मिली और उनके कार्य से प्रभावित हो गई। तभी से वह देश के आजादी के लिए मर मिटने को तैयार हो गईं। उन्हें 1925 में कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया।
सरोजिनी को ब्रिटिश सरकार द्वारा 1928 में उन्हें ‘केसर-ए-हिंद’ से सम्मानित किया गया। यह मेडल उन्हें भारत में प्लेग की महामारी के दौरान उनके काम के लिए दिया गया था। लेकिन, जलियांवाला बाग हत्याकांड क्षुब्ध होकर उन्होंने ने सन्मान लौटा दिया था। भारत की कोकिला सरोजिनी ने महिलाओं के अधिकारों के लिए भी खूब संघर्ष किया। वे भारत की पहली महिला राज्यपाल बनी थीं।
सरोजिनी को 2 मार्च 1949 को लखनऊ में हार्ट अटैक आया और उनका निधन हो गया। भारत की कोकिला सरोजिनी नायडू की 135 वीं जयंती के दिन से यानी 13 फरवरी 2014 से भारत में राष्ट्रीय महिला दिवस मनाने की शुरुआत की गई।