किसान बाबूराव हजारे उर्फ 'अन्ना' हजारे (सोर्स- सोशल मीडिया)
नागपुर: आज यानी रविवार 15 जून को एक ऐसी शख्सियत का जन्मदिन है…जिन्होंने पाकिस्तान से 1965 के युद्ध में मोर्चा लिया….साथी मारे गए, लेकिन वह लड़ा भी और बचा भी…जिन्होंने भारत की जनता को नया अधिकार दिलाया…जिन्होंने हरियाली के लिए खुद को धूप में तपाया…और जिन्हें ‘आधुनिक भारत का गांधी’ कहा गया। अब तक आपको पता चल गया होगा कि हम किसकी बात कर रहे हैं!
हम बात 21वीं सदी के सबसे लोकप्रिय भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन के नायक कहे जाने वाले किसान बाबूराव हजारे उर्फ ’अन्ना’ हजारे की जो आज अपना 88वां जन्मदिन मना रहे हैं। इस खास मौके पर जानिए आधुनिक गांधी अन्ना हजारे के जीवन से जुड़ी कुछ अनसुनी बातें…
अन्ना हजारे का जन्म 15 जून 1937 को महाराष्ट्र के अहिल्यानगर (तब अहमदनगर) जिले के एक छोटे से गांव भिंगर में बाबूराव हजारे और लक्ष्मी बाई के घर हुआ था। बाद में उनके माता-पिता रालेगण सिद्धि चले गए। साल 1947 में जब वे नौ साल के थे, तो एक रिश्तेदार उन्हें पढ़ाई के लिए मुंबई ले गए, क्योंकि रालेगण सिद्धि के पास कोई प्राइमरी स्कूल नहीं था। आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण हजारे को अपनी पढ़ाई छोड़ कर मुंबई के दादर स्टेशन पर फूल बेचने पड़े।
छोटे कद के होने के बावजूद उनके साहस को देखते हुए 1963 में अन्ना हजारे को भारतीय सेना में शामिल किया गया। 1965 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान वे खेमकरण सेक्टर में तैनात थे। यहां दुश्मन ने जोरदार हमला किया। जिसमें उनके अधिकांश साथी मारे गए, लेकिन अन्ना ने मोर्चा भी संभाला और जिंदा भी बच गए। यह उनके जीवन का सबसे महत्वपूर्ण मोड़ था और उन्होंने निर्णय लिया कि वे अपना भावी जीवन समाज के कल्याण के लिए समर्पित करेंगे।
1975 में सेना से सेवानिवृत्त होने के बाद अन्ना हजारे रालेगण सिद्धि लौट आए और इसके बाद उन्होंने गांव में पानी की कमी और बड़े पैमाने पर शराबखोरी के कारण व्यापक गरीबी देखी। इस दौरान वे विलासराव सालुंखे के संपर्क में आए जो मृदा और जल संरक्षण पर काम कर रहे थे।
अन्ना हजारे (सोर्स- सोशल मीडिया)
हजारे ने रालेगण सिद्धि में ऐसी ही एक परियोजना शुरू करने का फैसला किया। इस तरह गांव में वाटरशेड परियोजना का जन्म हुआ। इससे अब 300 एकड़ की जगह 2000 एकड़ से अधिक भूमि की सिंचाई की जा सकती है।
उन्होंने ग्रामीणों को शपथ दिलाई कि वे शराब की लत से लड़ेंगे। नतीजतन, गांव में 35 से अधिक शराब की दुकानें बंद कर दी गईं। उन्होंने एक युवा संघ की भी स्थापना की, जिसने शराब के उन्मूलन की दिशा में काम किया और तंबाकू, सिगरेट की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया। हजारे ने महिलाओं के लिए अनाज बैंक, डेयरी, सहकारी समिति और स्वयं सहायता समूह भी स्थापित किए।
अन्ना हजारे के इन्हीं प्रयासों के चलते साल 1990 में उन्हें पूर्व राष्ट्रपति आर वेंकटरमन से प्रतिष्ठित ‘पद्म श्री’ पुरस्कार मिला। इसके बाद वर्ष 1992 में अन्ना हजारे को उनकी सामाजिक पहल के लिए पूर्व राष्ट्रपति वेंकटरमन से प्रतिष्ठित ‘पद्म भूषण’ पुरस्कार भी मिला।
वर्ष 2003 में अन्ना हजारे ने महाराष्ट्र में आरटीआई अधिनियम को लागू करने के लिए मुंबई के आजाद मैदान में आमरण अनशन किया। 12 दिनों के भीतर विधेयक पारित हो गया और राज्य सरकार ने इसे अधिसूचित कर दिया। बाद में यह विधेयक भारत सरकार द्वारा 2005 में पारित आरटीआई अधिनियम का प्रारूप बन गया।
अन्ना हजारे की भ्रष्टाचार के खिलाफ लंबी लड़ाई वर्ष 2011 में सुर्खियों में आई। ‘इंडिया अगेंस्ट करप्शन’ के बैनर तले वे संसद में लोकपाल विधेयक पारित कराने के लिए दिल्ली के जंतर-मंतर पर अनशन पर बैठे। उनके आंदोलन में अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया, किरण बेदी और कई अन्य प्रमुख नाम शामिल थे। उन्होंने केंद्र को अल्टीमेटम दिया कि अगर अगस्त 2011 तक विधेयक पारित नहीं हुआ तो वे आमरण अनशन पर बैठ जाएंगे।
केंद्र सरकार ने उनकी चेतावनियों को नजरअंदाज कर दिया। अन्ना ने अन्न त्याग दिया, जिसके कारण भ्रष्टाचार के खिलाफ देशव्यापी आंदोलन का जन्म हुआ। एक साल के लंबे विरोध के बाद भारतीय संसद ने लोकपाल विधेयक पारित किया। इस आंदोलन ने अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली आम आदमी पार्टी या आप को भी जन्म दिया, जो ‘इंडिया अगेंस्ट करप्शन’ से अस्तित्व में आई।
अन्ना हजारे ने अरविंद केजरीवाल की राजनीतिक एंट्री और आम आदमी पार्टी के गठन पर भी कड़ी नाराजगी जताई। जिन्हें लोकपाल विधेयक विरोध के दौरान उनके सबसे करीबी सहयोगी के रूप में देखा जाता था। यही वजह है कि वह आम आदमी पार्टी और अरविंद केजरीवाल की आलोचना भी करते हैं।