केबिन क्रू सदस्य लैमनुंथीम सिंगसन और नगंथोई शर्मा (फोटो- सोशल मीडिया)
अहमदाबाद: गुजरात के अहमदाबाद में हुए विमान हादसे ने जहां पूरे देश को गम में डुबो दिया, वहीं मणिपुर के दो समुदायों कुकी और मैतेई को करीब लाने का दर्दभरा कारण भी बन गया। इस हादसे में जान गंवाने वाली केबिन क्रू सदस्य लैमनुंथीम सिंगसन और नगंथोई शर्मा अलग-अलग समुदायों से थीं, लेकिन उनकी साझा शहादत ने लंबे समय से संघर्ष की आग में जल रहे मणिपुर में कुछ समय के लिए शांति और संवेदनशीलता की भावना को जन्म दे दिया। दोनों की मौत ने न सिर्फ मणिपुर को रुलाया, बल्कि इंसानियत की एक नई तस्वीर भी पेश की।
हादसे के बाद मणिपुर से लेकर दिल्ली तक शोक की लहर दौड़ गई है। दिल्ली में रहने वाले मैतेई और कुकी समुदायों ने मिलकर श्रद्धांजलि सभा और कुकी छात्र संगठनों ने कैंडिल मार्च का आयोजन किया। इससे यह स्पष्ट हो गया कि विपत्ति के क्षण में सामाजिक दीवारें भी कमजोर हो जाती हैं। दोनों परिवारों के सदस्य अहमदाबाद पहुंच गए हैं और डीएनए परीक्षण की प्रक्रिया जारी है, ताकि उनकी बेटियों के पार्थिव शरीर की पुष्टि हो सके।
साझा शोक में बदला वर्षों का संघर्ष
मणिपुर में कुकी और मैतेई समुदायों के बीच लंबे समय से तनाव बना हुआ था, लेकिन जब इस विमान हादसे में दोनों समुदायों की बेटियां जान गंवा बैठीं, तो पूरा राज्य एकजुट हो गया। सोशल मीडिया से लेकर सड़कों तक, हर जगह संवेदना और एकता के स्वर गूंजने लगे। लोग यह मानने लगे कि इंसानी रिश्ते किसी भी जातीय भेदभाव से ऊपर होते हैं।
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कुकी-मैतेई की बेटियां बनीं एकता की प्रतीक
लैमनुंथीम सिंगसन और नगंथोई शर्मा भले ही अलग पृष्ठभूमि से थीं, लेकिन उनके जीवन का अंतिम सफर एक ही विमान में था। एयर इंडिया की फ्लाइट जब टेकऑफ के चंद सेकंड बाद दुर्घटनाग्रस्त हुई, तब इन दोनों की जान भी चली गई। यह हादसा न केवल विमानन क्षेत्र की बड़ी त्रासदी बना, बल्कि मणिपुर की सांप्रदायिक दरारों पर एक अस्थायी मरहम भी बन गया। अहमदाबाद विमान हादसे में कैबिन क्रू के रूप में कार्यरत कुकी मैतेयी समुदाय की बेटियों के परिवारों को दोनो तरफ से संवेदनाएं देने का सिलसिला चल रहा है।