प्रतीकात्मक तस्वीर, फोटो: सोशल मीडिया
Coal Missing in Meghalaya: मेघालय में 4000 टन कोयले के गायब होने का मामला सुर्खियों में है। यह कोयला पूर्वी जयंतिया हिल्स के राजाजू और डिएंगन गांवों से कथित रूप से लापता हुआ है। इस पर मेघालय हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को फटकार लगाते हुए सख्त कार्रवाई के निर्देश दे दिए हैं। वहीं सरकार में मंत्री किरमेन शायला का इस प्रकरण पर दिया गया बयान अब नए विवाद को जन्म देता दिखाई दे रहा है।
कोयले के गायब होने की खबर जब मेघालय हाईकोर्ट तक पहुंची तो 25 जुलाई को सुनवाई में हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को फटकार लगाते हुए गायब कोयले की जांच के आदेश दिए। कोर्ट ने स्पष्ट तौर पर कहा कि जिन अधिकारियों की निगरानी में यह कोयला गायब हुआ उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए।
उत्पाद शुल्क मंत्री किरमेन शायला ने सोमवार को मीडिया से बातचीत में कहा, “मैं इसे उचित नहीं ठहराना चाहता, लेकिन मेघालय में सबसे अधिक बारिश होती है। हो सकता है कि भारी बारिश की वजह से कोयला बह गया हो। मेरे पास ऐसा कोई ब्यौरा नहीं है जिससे यह कहा जा सके कि अवैध ट्रांसपोर्टेशन हुआ। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि कोई अवैध ट्रांसपोर्टेशन या खनन न हो, यह नियम के अनुसार ही होना चाहिए।” उन्होंने आगे कहा, “शायद किसी ने रोजी-रोटी के लिए कोयला लिया हो। हमारे लोग राज्य को नुकसान पहुंचाने के लिए ये नहीं करेंगे।”
राज्य में कोयला खनन और परिवहन की निगरानी कर रही रिटायर्ड जस्टिस बीपी कटेकी समिति ने अपनी 31वीं अंतरिम रिपोर्ट में गायब कोयले का जिक्र किया। रिपोर्ट के अनुसार, “गायब हुआ 4000 टन कोयला पहले से सर्वेक्षण में दर्ज और रिकॉर्डेड था। इससे यह साफ है कि कोयला अवैध रूप से हटाया गया और यह राज्य में कोयला माफिया के सक्रिय नेटवर्क की ओर इशारा करता है।”
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मेघालय में अवैध कोयला खनन और परिवहन कोई नई बात नहीं है। सुप्रीम कोर्ट और नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) पहले भी अवैध रैट होल माइनिंग पर सख्त टिप्पणियां कर चुके हैं। अब 4000 टन कोयले के अचानक गायब हो जाने से फिर एक बार राज्य सरकार के अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े हो रहे हैं।