मंकीपॉक्स वायरस वैक्सीन (सौ.डिजाइन फोटो)
नवभारत डिजिटल डेस्क: वैश्विक स्तर पर फैली महामारी मंकीपॉक्स ने जहां पर दुनिया में हाहाकार मचा दिया वहीं पर इस माहौल के बीच राहत की खबर सामने आई है जहां पर विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने मंकीपॉक्स वायरस (एमपीएक्सवी) से लड़ने के लिए पहली वैक्सीन को मंजूरी दी है। जिसके साथ इस वैक्सीन का सबसे पहले वैक्सीनेशन अफ्रीका में शुरु होगा, जो इस समय हॉट स्पॉट बना हुआ है।
बता दें कि, मंकी पॉक्स की दहशत दुनिया में फैलने के बाद भारत देश में एक मामला सामने आया था जिसके बाद देश में निगरानी बढ़ा दी गई।
यहां पर विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने मंकीपॉक्स वायरस के प्रसार को कम करने के लिए पहली वैक्सीन बवेरियन नॉर्डिक को मंजूरी दी है। इसके साथ ही संशोधित वैक्सीनिया अंकारा-बवेरियन नॉर्डिक या एमवीए-बीएन को 18 वर्ष और उससे अधिक उम्र के सभी वयस्कों में चेचक, एमपॉक्स और संबंधित ऑर्थोपॉक्सवायरस संक्रमण और बीमारी के खिलाफ टीकाकरण के संकेत भी जारी किए गए है। इसे लेकर डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक का बयान भी सामने आया है।
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इसे लेकर डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक डॉ. टेड्रोस एडनोम घेब्येयियस ने कहा, “एमपॉक्स के खिलाफ टीके की मंजूरी अफ्रीका में मौजूदा प्रकोप और भविष्य दोनों के संदर्भ में, बीमारी के खिलाफ हमारी लड़ाई में एक महत्वपूर्ण कदम है.” घेब्रेयसस ने टीकों तक समान पहुंच सुनिश्चित करने के लिए खरीद, दान और वितरण को बढ़ाने की आवश्यकता पर बल दिया।इसके अलावा, उन्होंने कहा कि संक्रमण को रोकने, संचरण को रोकने और जीवन बचाने के लिए अन्य सार्वजनिक स्वास्थ्य उपकरणों की भी तत्काल आवश्यकता है।
वैक्सीन की बात की जाए तो, इस वैक्सीन में 4 सप्ताह के अंतराल पर 2 खुराक के इंजेक्शन के रूप में दिया जा सकता है जिसमें मंकीपॉक्स की बीमारी से पीड़ित मरीज को अनुमानित तौर पर एकल खुराक में 76 फीसदी प्रभावी है, जबकि 2 खुराक वाली खुराक अनुमानित 82 फीसदी प्रभावी मानी गई है।
इसे लेकर आपको बताते चलें कि, अफ्रीका में मंकीपॉक्स से हालात बेकाबू है इस वजह से ही पहले इस देश में फैले प्रकोप पर वैश्विक स्वास्थ्य आपातकाल घोषित किया था। अब इन हालातों को लेकर वैक्सीन की मंजूरी देकर बवेरियन नॉर्डिक को इसके लिए प्रभावी बताया गया है इसकी समीक्षा नियामक एजेंसी और यूरोपीय मेडिसिन एजेंसी ने की है। बता दें कि, मंकीपॉक्स दुनिया में कोरोना की तरह ही तबाही मचा रहा है जिसके पिछले दो सालों में 2022 के बाद से 120 से अधिक देशों में एमपॉक्स के 1 लाख 3,000 से अधिक मामलों की पुष्टि हुई है. अकेले 2024 में अफ्रीकी क्षेत्र के 14 देशों में 25,237 संदिग्ध और पुष्ट मामले और 723 मौतें हुई हैं। इस वजह से वैक्सीन को मंजूरी देना जरूरी कदम है।