प्रतीकात्मक तस्वीर, फोटो - सोशल मीडिया
नवभारत डेस्क : कैंसर का नाम सुनते ही लोग घबरा जाते हैं। हलांकि, कई ऐसे केसेज सामने आए हैं, जिसमें कई लोगों ने कैंसर को मात दे दिया है। वहीं कई ऐसे केसेज भी सामने हैं, जिसमें कैंसर के कारण लोगों की जान चली गई है। ऐसे में कैंसर के वैक्सीन को लेकर लगातार काम जारी है। रूस की कैंसर वैक्सीन बढ़ते ट्यूमर को रोकने में कारगर साबित हो रही है क्या?
आज के इस आ्रटिकल में यहीं जानेंगे कि यह वैक्सीन किस तरह से काम करती है? दरअसल, एमआरएनए कैंसर वैक्सीन इम्यूनोथेरेपी का एक रूप है। कैंसर सेल्स अक्सर ऐसा तरीका डेवलपर कर लेता है कि वह पहचान में आने से बच जाता है। इसके कारण इम्यून सिस्टम (शरीर की प्रतिरोधात्मक क्षमता) उन्हें नष्ट नहीं कर पाता।
इस बचाव के तरीके को अब समझ लिया गया है और इम्यूनोथेरेपी का विचार यह है कि शरीर की प्रतिरोधात्मक क्षमता को इस प्रकार मजबूत कर दिया जाए कि वह कैंसर कोशिकाओं को तलाश करके उन्हें नष्ट कर दे तथा उनको फैलने से रोके। इस उपचार का लाभ यह है कि कीमोथेरेपी के विपरीत केवल कैंसर कोशिकाओं को ही नष्ट किया जाता है, जिसके कारण इसके साइड-इफेक्ट्स कम हो जाते हैं।
वैक्सीन के अतिरिक्त भी इम्यूनोथेरेपी के अन्य अनेक तरीके हैं, जैसे कार टी सेल थेरेपी, इम्यून चेकपॉइंट इन्हिबिटर्स आदि। अन्य वैक्सीनों की तरह एमआरएनए कैंसर वैक्सीन रोग को रोकने के लिए स्वस्थ व्यक्तियों के लिए नहीं हैं कि टीकाकरण करा लिया और रोग होगा ही नहीं। इन्हें उन रोगियों पर इस्तेमाल किया जाता है, जिन्हें पहले से ही कैंसर है ताकि ट्यूमर या गांठ को निशाना बनाकर उसका उपचार किया जा सके।
यह उपचार विधि इस तरह से तैयार की गई है कि हर रोगी के ट्युमर में जो विशिष्ट एंटीजन होते हैं, उन्हें निशाना बनाया जाए, जिससे यह वैक्सीन व्यक्तिगत हो जाती है और अधिक प्रभावी भी। कोविड-19 एमआरएनए वैक्सीन के विपरीत, जो केवल एक एंटीजन को निशाना बनाती है। कैंसर एमआरएनए वैक्सीन को इस तरह से भी डिजाइन किया जा सकता है कि अनेक प्रकार के एंटीजन को निशाना बनाया जा सके।
कैंसर की वैक्सीन का शोध केवल रूस में ही नहीं हुआ है। पिछले साल इंग्लैंड की नेशनल हेल्थ सर्विस ने कैंसर वैक्सीन लॉन्च पैड स्थापित किया, जो एक ट्रायल कार्यक्रम है ताकि एमआरएनए व्यक्तिगत कैंसर वैक्सीन क्लिनिकल ट्रायल्स में उन लोगों के लिए तेजी लायी जा सके, जिनके संबंध में कैंसर होने की पुष्टि हो चुकी है और साथ ही कैंसर का उपचार करने के लिए कैंसर वैक्सीन के विकास को गति प्रदान की जा सके।
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अमेरिका में ग्लोबल बायोफार्मास्युटिकल कंपनी क्योरवैक ने पिछले साल सितंबर में घोषणा की कि सीवीजीबीएम कैंसर वैक्सीन ने ग्लिओबलस्टोमा (ब्रेन कैंसर) रोगियों पर पहले चरण के अध्ययन में उत्सावर्धक प्रतिरोधात्मक (इम्यून) प्रतिक्रियाएं प्रदर्शित की हैं। वर्तमान में कैंसर वैक्सीन को लेकर संसार के विभिन्न हिस्सों में 120 से अधिक क्लिनिकल ट्रायल्स चल रहे हैं। इन सबका अर्थ क्या है? डॉक्टरों का कहना है कि कैंसर की रोकथाम के लिए ‘वैक्सीन’ शब्द का प्रयोग करना भ्रामक है, क्योंकि संक्रमित रोगों की तरह कैंसर आमतौर से किसी एक कीटाणु से नहीं फैलता है।
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