प्रतीकात्मक तस्वीर (सोर्स: सोशल मीडिया)
Guillain-Barre Syndrome In Maharashtra: देश इन दिनों कई प्रकार की गंभीर और संक्रामक बीमारियों का सामने कर रहा है। 2020 में कोरोना महामारी ने भारत समेत पूरे विश्व में तबाही मचाई थी। इसके बाद पिछले साल के आखिरी में एचएमपीवी और फिर एच5एन1 (बर्ड फ्लू) के संक्रमण ने अटैक किया। इससे स्वास्थ्य विशेषज्ञों की चिंता बढ़ गई है। अब महाराष्ट्र के कई शहरों में एक नई बीमारी ने लोगों के मन में डर बिठा दिया है।
महाराष्ट्र में गुलियन बैरे सिंड्रोम (GBS) के बढ़ते मामलों ने लोगों को डरा दिया है। महाराष्ट्र पहले से ही बर्ड फ्लू के संक्रमण से जुझ रहा था, इसी बीच जीबीएस की एंट्री ने स्वास्थ्य विभाग पर अतिरिक्त दबाव बढ़ा दिया है। पुणे में गुलियन-बैरे सिंड्रोम अब फैलता जा रहा है। पिछले एक हफ्ते में गुलियन-बैरे सिंड्रोम के कुल 100 मामले सामने आ चुके है। तो वहीं इस बीमारी से पहली मौत की पुष्टि भी हो गई है।
गुलियन-बैरे सिंड्रोम एक ऑटोइम्यून न्यूरोलॉजिकल डिसॉर्डर है, जो सीधा इंसानों की इम्यून सिस्टम पर अटैक करता है। ये इस तरह से असर करता है कि लोगों के उठने-बैठने और चलने में तकलीफों का सामना करना पड़ता है। इसका असर बढ़ने पर सांस लेने में भी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। इससे लकवा मारने का भी खतरा बढ़ जाता है।
डॉक्टरों ने बताया कि आम तौर पर जीवाणु और वायरल संक्रमण गुलियन-बैरे सिंड्रोम का कारण बनते हैं क्योंकि वे रोगियों की प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर करते हैं। रोग प्रतिरोधक क्षमता कम रहने पर किसी भी अन्य वायरस का शरीर पर अटैक करना आसान हो जाता है।
अब तक गिलियन-बैरे सिंड्रोम का कोई ज्ञात इलाज नहीं है। लेकिन मेडिकल सहायता और उपचारों से रिकवरी में तेजी और लक्षणों में कमी आ सकती है। प्लाजमा थेरेपी और इम्यूनोग्लोबिन थेरेपी की मदद से इसका इलाज किया जाता रहा है।
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डॉक्टरों का कहना है कि इस रोग से बचाव के लिए कोई ज्ञात तरीका नहीं है, हालांकि गुड हाइजीन का पालन करके इस तरह की समस्याओं के खतरे को कम किया जा सकता है। अपने हाथों की स्वच्छता का ध्यान रखें, किसी भी सतह को छूने से बचें या छूने के बाद हाथ जरूर धोएं। साथ ही ऐसे कोई भी लक्षण दिखे तो तुंरत डॉक्टर्स की सहायता लें।