प्रतीकात्मक तस्वीर (सोर्स: सोशल मीडिया)
Earthquake in Haryana: हरियाणा के सोनीपत में बीती देर रात धरती कांप उठी, जब रिक्टर स्केल पर 3.4 की तीव्रता का भूकंप दर्ज किया गया। रात करीब 1 बजकर 47 मिनट पर जब ज्यादातर लोग गहरी नींद में सो रहे थे, तब अचानक लगे इन तेज झटकों ने सबको जगा दिया। दहशत का आलम ऐसा था कि लोग समझ ही नहीं पाए कि आखिर हुआ क्या और तुरंत अपने-अपने घरों से बाहर की ओर भागे। चारों तरफ कुछ देर के लिए अफरा-तफरी का माहौल बन गया, हालांकि गनीमत रही कि कोई नुकसान नहीं हुआ।
दिल्ली से सटे हरियाणा में आए इस भूकंप के झटके इतने स्पष्ट थे कि लोगों में भय का माहौल बन गया। देर रात होने की वजह से शुरुआत में तो किसी को कुछ समझ नहीं आया, लेकिन जब कंपन लगातार महसूस हुआ तो वे सहम गए। पिछले कुछ महीनों के रिकॉर्ड को देखें तो दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में कई बार भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं। यह घटना एक बार फिर इस पूरे इलाके की भूकंपीय संवेदनशीलता को सामने लाती है और लोगों के मन में चिंता पैदा करती है। राहत की बात यह है कि किसी भी प्रकार की जनहानि या संपत्ति के नुकसान की कोई सूचना नहीं है।
इस सवाल का जवाब जमीन के नीचे छिपी भूगर्भीय हलचल में है। भूकंप विज्ञान केंद्र के विशेषज्ञों के अनुसार, उत्तराखंड के देहरादून से लेकर हरियाणा के महेंद्रगढ़ जिले तक जमीन के नीचे एक लंबी फॉल्ट लाइन गुजरती है। जब इस फॉल्ट लाइन के नीचे की प्लेटों में कोई मूवमेंट या टकराव होता है, तो उससे एक कंपन पैदा होता है। यही कंपन धरती की सतह पर भूकंप के झटकों के रूप में महसूस किया जाता है, जैसा कि सोनीपत में हुआ। इस फॉल्ट लाइन की वजह से यह पूरा क्षेत्र भूकंप के लिहाज से काफी संवेदनशील माना जाता है।
यह भी पढ़ें: UN में शहबाज की ‘बेतुकी नौटंकी’ पर भारत का पलटवार, कहा- आतंकियों का महिमामंडन बंद करे पाकिस्तान
दरअसल, हमारी पूरी पृथ्वी की सतह मुख्य रूप से सात बड़ी और कई छोटी-छोटी टेक्टोनिक प्लेटों पर टिकी हुई है। ये प्लेटें लगातार गतिमान रहती हैं और जब ये आपस में टकराती हैं, तो भारी दबाव बनता है। इस दबाव के कारण कई बार ये प्लेटें टूट जाती हैं और इनके नीचे से ऊर्जा बाहर निकलने का रास्ता खोजती है। इसी डिस्टर्बेंस से भूकंप आता है। भारत का एक बड़ा हिस्सा भूकंप के खतरे के दायरे में आता है। आंकड़ों पर गौर करें तो नवंबर 2024 से फरवरी 2025 के बीच ही देश में कुल 159 भूकंप आ चुके हैं। इसी खतरे को देखते हुए Bureau of Indian Standards (BIS) ने भारत के लगभग 59 प्रतिशत हिस्से को भूकंप के प्रति संवेदनशील मानते हुए देश को चार भूकंपीय जोनों में बांटा है।