द डिप्लोमैट मूवी रिव्यू: देशभक्ति के जॉनर में परफेक्ट है जॉन अब्राहम, एक बार फिर हुआ साबित
The Diplomat Review In Hindi: बॉलीवुड में कई देशभक्ति फिल्में बन चुकी है, लेकिन बेहतरीन फिल्मों की अगर बात की जाए तो उन्हें उंगलियों पर गिना जा सकता है, जॉन इब्राहिम की ‘द डिप्लोमैट’ फिल्म उन्हीं फिल्मों में शामिल हो चुकी है जिन्हें उंगलियों पर गिना जा सकता है। फिल्म का क्लाइमेक्स रोंगटे खड़े कर देने वाला है। इस फिल्म की कहानी भारत की एक ऐसी लड़की की कहानी है जिसे पाकिस्तानी नागरिक अपने प्यार के जाल में फंसा कर अगवा कर पाकिस्तान ले जाता है, उसकी जबरन शादी कराता है पाकिस्तान का वो नागरिक आतंकवादी गतिविधियों में भी शामिल था। उज्मा को एक भारतीय डिप्लोमैट बचता है और उसे सुरक्षित भारत वापस भेजता है, भारत के विदेश मंत्रालय ने भी इसके लिए मदद की थी।
कहानी: फिल्म की कहानी असली घटना पर आधारित है, उज्मा अहमद (सादिया खातिब) नाम की भारतीय लड़की ताहिर अली (जगजीत संधू ) नाम के एक पाकिस्तानी लड़के के प्यार में फंस जाती है। ताहिर अली उज्मा अहमद को पहले मलेशिया लेकर जाता है फिर उसे वह पाकिस्तान के अपने गांव ले जाता है ताहिर अली आतंकवादी गतिविधियों में शामिल है। पाकिस्तान पहुंचने के बाद उज्मा अहमद का उत्पीड़न शुरू होता है, उसे पता चल जाता है कि वह बुरी मुसीबत में फंस गई है। इसके बाद वह ताहिर अली को यह लालच देता है कि अगर उसके माता-पिता को पता चल जाएगा कि उसकी शादी हो चुकी है तो उसे उसका हक मिलेगा। 10 लाख रुपए की लालच में पड़कर ताहिर अली उज्मा अहमद का निकाह करवाता है। इस बीच वह किसी तरह पाकिस्तान स्थित भारतीय दूतावास में पहुंचने में कामयाब होती है, जहां उसकी मुलाकात भारतीय डिप्लोमैट जेपी सिंह से होती है। उज्मा की पूरी कहानी पता चलने के बाद जेपी सिंह निर्णय लेते हैं कि वह उज्मा को भारत पहुंचाएंगे। इस काम में तत्कालीन भारतीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज उनकी मदद करती हैं। पाकिस्तान से जब उज्मा को वाघा बॉर्डर पहुंचाया जा रहा था तब उस पर कई बार हमले होते हैं। लेकिन आखिरकार उज्मा भारत पहुंचने में कामयाब होती है और यही फिल्म की कहानी है।
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एक्टिंग: फिल्म में जॉन इब्राहिम, शारिब हाशमी, सादिया खातिब, जगजीत संधू, कुमुद मिश्रा और साउथ एक्ट्रेस रेवती नजर आ रहे हैं। शारिब हाशमी और कुमुद मिश्रा ने अपने नाम के मुताबिक एक्टिंग में भी सभी का दिल जीता। रेवती ने सुषमा स्वराज के किरदार में जबरदस्त भूमिका निभाई है। तो वहीं उज्मा अहमद और ताहिर अली के किरदार में सादिया खातिब और जगजीत संधू ने भी जबरदस्त अभिनय किया है। जॉन इब्राहिम जेपी सिंह के किरदार में रचे बसे नजर आए, उन्होंने एक बार फिर साबित कर दिया की देशभक्ति की फिल्मों के लिए उनकी एक्टिंग परफेक्ट है।
डायरेक्शन और कहानी: फिल्म में शिवम नायर का डायरेक्शन जबरदस्त है फिल्म की कहानी दर्शकों को आखिर तक बांधे रखने में पूरी तरह से कामयाब लगती है। स्क्रीनप्ले और डायलॉग सोच समझ कर लिखे गए हैं। कैमरा वर्क भी जबरदस्त है। फिल्म के कुछ दृश्य जबरदस्ती लगते हैं लेकिन उन्हें नजरअंदाज किया जा सकता है। कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि यह फिल्म जॉन अब्राहम के करियर के लिए मील का पत्थर बन सकती है, बीते का काफी समय से जॉन अब्राहम असफल फिल्मों की वजह से चर्चा में हैं। यह फिल्म उनके करियर को एक बूस्ट दे सकती है।
म्यूजिक: फिल्म में एक भी गाना नहीं है, यह दर्शकों को हैरान जरूर कर सकता है, लेकिन फिल्म के दौरान गाने की कमी नहीं खलती है। बैकग्राउंड म्यूजिक में काफी प्रयोग किया गया है। सस्पेंस और थ्रिल के मौके पर कुछ नयापन भले ही देखने को ना मिला हो, लेकिन कहानी के मुताबिक फिल्म का बैकग्राउंड म्यूजिक सटीक लगता है। अगर आप जॉन इब्राहिम के फैन ना भी हैं तो भी यह फिल्म देखने के लिए आपको सिनेमाघर तक जरूर जाना चाहिए, क्योंकि यह देशभक्ति से लबरेज एक बेहतरीन फिल्म है।