शकील बदायूंनी के गीत 'चौदहवीं का चांद हो या आफताब हो' पर उन्हें पड़ी थी डांट
Shakeel Badayuni Death Anniversary: शकील बदायूंनी का जन्म उत्तर प्रदेश के बदायूं जिले में हुआ। 3 अगस्त 1916 को जन्मे शकील बदायूंनी ने बॉलीवुड के लिए बेहतरीन नगमे लिखें। लेकिन 53 साल की उम्र में 20 अप्रैल 1970 को उनका निधन हो गया। उनके प्रशंसक आज उनकी पुण्यतिथि मना रहे हैं। शकील बदायूंनी ने अपने जीवन काल में बॉलीवुड की कई फिल्मों के लिए ऐसे गीत लिखे जो हमेशा के लिए अमर हो गए। 1960 में आई फिल्म चौदहवीं का चांद का टाइटल सॉन्ग ‘चौदहवीं का चांद हो या आफताब हो’ गाना उनकी अमर रचनाओं में गिना जाता है। इसके अलावा उन्होंने ‘प्यार किया तो डरना क्या’, ‘ना जावो सैंया छुड़ा के बैंया’, ‘हुस्न वाले तेरा जवाब नहीं’ और ‘सुहानी रात ढल चुकी’ जैसे अनगिनत गाने लिखे उनके हर गाने आज भी लोकप्रिय हैं। इन गानों को सुनने के बाद लोग उनके मुरीद हो गए थे, लेकिन चौदहवीं का चांद गीत के लिए ही उन्हें एक मशहूर शायर से जबरदस्त फटकार मिली थी, चलिए जानते हैं क्या है पूरी कहानी।
एक इंटरव्यू के दौरान बॉलीवुड एक्टर अनु कपूर ने एक बेहद दिलचस्प किस्सा शेयर किया और उन्होंने निदा फाजली के हवाले से बताया कि मशहूर गीतकार और शायर शकील बदायूंनी ग्वालियर के एक मुशायरा में पहुंचे थे, इस मुशायरा में नागपुर के मिर्जा दाग के शिष्य और वरिष्ठ कवि हजरत नातिक गुलाम भी पहुंचे थे, वहां मौजूद लोगों ने हजरत गुलाम का जमकर स्वागत किया। शकील बदायूंनी स्टेज पर थे उन्होंने भी एक मशहूर शेर पढ़कर हजरत नातिक गुलाम का स्वागत किया। लेकिन वह शकील बदायूंनी पर भड़क उठे उन्होंने शकील बदायूंनी से कहा तुम्हारे पिता और चाचा शेयर थे, तुम फिल्म लाइन में हो, लेकिन शायरी के नियम भूल गए हो, सभी के सामने डांट खाने के बाद शकील बदायूंनी शर्मसार हुए। लेकिन उन्होंने नातिक गुलाम की बातों को हंसी में उड़ा दिया और उनसे कहा कि अगर मुझसे कोई गलती हुई है तो आप बता दें मैं उसे दुरुस्त कर लूंगा, तब नातिक गुलाम ने कहा कि अब कैसे सही करोगे वह तो रिकॉर्ड हो गया है। मैंने तुम्हारे गीत को रेडियो पर सुना था।
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नातिक गुलाम ने आगे बताया कि ‘चौदहवीं का चांद हो’ गाना तुमने शायरी के मीटर के हिसाब से नहीं लिखा है, अगर तुम उसके मतले में ‘तुम’ शब्द का इस्तेमाल करते, जैसे ‘तुम चौदहवीं का चांद हो या तुम आफताब हो, जो भी हो तुम खुद की कसम लाजवाब हो’, तब यह शायरी के मीटर के हिसाब से परफेक्ट होता। शकील बदायूंनी ने इस पर उनके साथ जबांजोरी नहीं की और वह खामोश रहकर डांट खाते रहे, क्योंकि शकील बदायूंनी का यह मानना था कि अक्सर संगीतकार धुन का मीटर ठीक करने के लिए गीतकारों के शब्दों को घटा या बढ़ा देते हैं, नातिक गुलाम का कोई फिल्मी बैकग्राउंड नहीं था, इसलिए उन्हें यह बात पता नहीं थी।