5 दिन में बजट के करीब भूल चूक माफ का कारोबार, हिट हुई राजकुमार राव की फिल्म
मुंबई: बॉलीवुड की जब बड़ी से बड़ी फिल्में दर्शकों को सिनेमाघरों तक खींच लाने में नाकाम हो रही हैं, ऐसे में दिनेश विजन की ‘मैडॉक फिल्म्स’ की प्रस्तुति ‘भूल चुक माफ’ ने न सिर्फ सबको चौंकाया है, बल्कि बॉक्स ऑफिस पर जबरदस्त धमाका किया है। कम बजट और बिना किसी बड़े स्टारकास्ट वाली इस फिल्म को पहले तो लोगों ने सीधे ओटीटी पर रिलीज होने लायक समझा, लेकिन आज वही फिल्म पूरे भारत में हाउसफुल चल रही है।
तीन दिन में ही फिल्म ने 33.31 करोड़ का कारोबार किया। चौथे फिल्म का वर्ल्डवाइड कलेक्शन 40 करोड़ के करीब पहुंच गया और पांचवें दिन ये आंकड़ा 40 करोड़ के पार पहुंच रहा है। फिल्म 50 करोड़ में बन कर तैयार हुई है। फिल्म की कमाई कर यह साबित कर दिया है कि अगर कहानी दिल से कही जाए, तो दर्शक दिल खोलकर स्वागत करते हैं। दिलचस्प बात यह है कि दूसरे दिन से ही फिल्म ने बिना किसी डिस्काउंट या प्रमोशनल ऑफर के भी दर्शकों को सिनेमाघरों तक खींचा।
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प्रसिद्ध फिल्म समीक्षक तरण आदर्श कहते हैं, “यह फिल्म उस भ्रम को तोड़ती है कि मिड-रेंज की फिल्मों को थिएटर की बजाय सीधे डिजिटल पर जाना चाहिए। ये एक मिसाल है कि कंटेंट अगर दमदार हो, तो दर्शक टिकट के पूरे पैसे देकर भी देखने तैयार हैं।”
पीवीआर के सीईओ कमल ज्ञानचंदानी ने भी कहा, “बहुतों ने इस फिल्म को डिस्काउंट ऑफर और सीमित अपील के चलते पहले ही नकार दिया था। लेकिन बॉक्स ऑफिस कुछ और ही कहानी सुना रहा है — यह एक सच्चा हिट है। मई के महीने ने थिएटर्स में जान फूंकी है, और दर्शक बड़ी संख्या में लौट आए हैं।”
मैडॉक की विशिष्ट शैली में रची गई कहानी
‘भूल चूक माफ’ उसी खास ‘मैडॉक टच’ का नतीजा है जिसने ‘स्त्री’, ‘बाला’, ‘जरा हटके जरा बचके’, और ‘मुनज्या’ जैसी फिल्में दी हैं। छोटे शहरों की कहानियों को सादगी, गर्मजोशी और हास्य के साथ प्रस्तुत करने में माहिर यह प्रोडक्शन हाउस अब भारतीय दर्शकों की नब्ज़ पकड़ चुका है।
यह फिल्म आम आदमी की उस जद्दोजहद को मजाकिया अंदाज में छूती है जो ‘चाकरी और चोकरी’ यानी नौकरी और प्यार के बीच झूलता है। कहानी भले ही साधारण हो, लेकिन इसे जिस इमोशनल गहराई और हास्य के संतुलन के साथ दिखाया गया है, वह दर्शकों के दिलों को छू गया है। यह फिल्म भारत के गलियों-मोहल्लों की आत्मा को बड़े पर्दे पर उतारने का एक सटीक उदाहरण है।
ना भव्य सेट, ना भारी-भरकम एक्शन, फिर भी फिल्म सुपरहिट
‘भूल चूक माफ’ कोई परंपरागत ‘बड़ी’ फिल्म नहीं है। इसमें ना कोई आलीशान लोकेशन है, ना ही कोई सुपरस्टार्स की भरमार। फिर भी यह ‘बड़ी’ फिल्म है, दिल से। इस फिल्म की सादगी, सच्चाई और समर्पण ने उसे असाधारण बना दिया।
जहां एक ओर बाकी प्रोडक्शन हाउस सिर्फ चकाचौंध और फॉर्मूला-फिल्मों के पीछे भागते दिखे, वहीं दिनेश विजान और उनकी टीम ने सच्ची कहानियों पर ध्यान दिया। और यही वजह है कि ‘भूल चूक माफ’ आज एक सांस्कृतिक मील का पत्थर बनती जा रही है।
कंटेंट सिनेमा वापस लौट आया है
इस फिल्म की सफलता इस बात का प्रमाण है कि भारतीय दर्शक अब उन कहानियों को देखना चाहते हैं जिनमें वह खुद को देख सकें। ‘भूल चूक माफ’ ने न सिर्फ बॉक्स ऑफिस को चौंकाया है, बल्कि यह दिखा दिया है कि अगर कंटेंट दमदार हो तो थिएटर आज भी जिंदा हैं और खूब धड़क रहे हैं।