राज कपूर (फोटो - सोशल मीडिया)
मुंबई: हिंदी सिनेमा के सबसे बड़े शोमैन राज कपूर को भले ही एक महान अभिनेता, निर्देशक और निर्माता के रूप में याद किया जाता हो, लेकिन उनका सफर आसान नहीं था। पृथ्वीराज कपूर के बेटे होने के बावजूद उन्होंने फिल्म इंडस्ट्री में अपने सफर की शुरुआत स्पॉटबॉय के रूप में की थी। राज कपूर की जिंदगी को दिशा देने में उनके पिता की एक सलाह ने अहम भूमिका निभाई।
जब राज कपूर अपने पिता पृथ्वीराज कपूर के साथ मुंबई आए, तब उनके पिता ने कहा था कि राजू, नीचे से शुरुआत करोगे तो ऊपर तक जाओगे।” इस बात को राज कपूर ने दिल से लगा लिया और इंडस्ट्री में सबसे निचले स्तर से शुरुआत की। 17 साल की उम्र में राज कपूर ने रंजीत मूवीकॉम और बॉम्बे टॉकीज में स्पॉटबॉय और क्लैपर ब्वॉय के रूप में काम किया।
एक बार निर्देशक केदार शर्मा की फिल्म में क्लैप देते समय गलती से एक्टर की नकली दाढ़ी गिर गई, जिससे नाराज़ होकर शर्मा ने राज को थप्पड़ मारा। लेकिन बाद में वही केदार शर्मा ने उन्हें फिल्म नीलकमल में बतौर नायक मौका दिया, जिसमें राज कपूर ने मधुबाला के साथ काम किया। 1948 में राज कपूर ने आर के फिल्म्स की स्थापना की और फिल्म आग से निर्देशन में कदम रखा। हालांकि यह फिल्म औसत रही, लेकिन आलोचकों ने उनके काम को सराहा। इसके बाद 1949 में अंदाज और बरसात जैसी फिल्मों ने उन्हें सुपरस्टार बना दिया।
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साल 1960 के दशक के अंत में राज कपूर की फिल्में जैसे अराउंड द वर्ल्ड और सपनों का सौदागर फ्लॉप रहीं। 1970 में आई उनकी ड्रीम प्रोजेक्ट मेरा नाम जोकर बॉक्स ऑफिस पर असफल रही और स्टूडियो आर्थिक संकट में चला गया। लेकिन बाद में इस फिल्म को कल्ट क्लासिक का दर्जा मिला। 1971 में राज कपूर ने अपने बेटे रणधीर कपूर को लॉन्च करते हुए कल आज और कल बनाई। इस फिल्म ने कपूर परिवार की तीन पीढ़ियों पृथ्वीराज, राज और रणधीर को एक साथ स्क्रीन पर लाकर दर्शकों को भावुक कर दिया।