50 साल पहले बैन हुई थी आंधी
मुंबई: बॉलीवुड की क्लासिक फिल्मों में शुमार आंधी ने 13 फरवरी 1975 को रिलीज होते ही न केवल दर्शकों का दिल जीता बल्कि विवादों में भी घिर गई थी। इमरजेंसी के दौरान यह फिल्म सेंसरशिप की भेंट चढ़ी और उस समय की सबसे चर्चित बैन फिल्मों में शामिल हो गई। आंधी को लेकर यह अफवाह तेजी से फैली थी कि फिल्म की नायिका सुचित्रा सेन का किरदार तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी पर आधारित है।
संजीव कुमार के साथ उनकी कैमिस्ट्री और महिला राजनेता के तौर पर दिखाई गई छवि ने कांग्रेस और सरकार को असहज कर दिया। इसके बाद तत्काल प्रभाव से फिल्म पर प्रतिबंध लगा दिया गया। हालांकि, फिल्म के लेखक कमलेश्वर ने साफ किया था कि यह किरदार इंदिरा गांधी पर नहीं, बल्कि स्वतंत्र भारत की पहली महिला सांसदों में से एक तारकेश्वरी सिन्हा पर आधारित था। बावजूद इसके, सरकार संतुष्ट नहीं हुई।
बाद में, निर्देशक गुलजार ने एक समझौता किया और फिल्म में एक सीन जोड़ा जिसमें सुचित्रा सेन का किरदार इंदिरा गांधी की तस्वीर के सामने खड़ा होता है और कहता है कि श्रीमती गांधी मेरी आदर्श हैं। इस एक डायलॉग और सीन से सरकार को यह स्पष्ट संकेत मिला कि फिल्म किसी तरह से इंदिरा गांधी की छवि को ठेस नहीं पहुंचा रही, और तब जाकर इस पर से बैन हटा।
साल 1977 में जब इमरजेंसी खत्म हुई और जनता पार्टी सत्ता में आई, तब आंधी को दूरदर्शन पर भी प्रसारित किया गया। गुलजार ने एक इंटरव्यू में कहा था कि उन्होंने कभी इंदिरा गांधी को कहानी का आधार नहीं बनाया। हालांकि, उन्होंने सुचित्रा सेन को अभिनय के दौरान कुछ हावभाव के संदर्भ जरूर दिए जो इंदिरा गांधी की शैली से मिलते-जुलते थे।
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आंधी एक ऐसी महिला की कहानी है, जो एक राजनीतिक नेता बनती है और अपनी शादीशुदा जिंदगी और राजनीति के बीच फंसी रहती है। संजीव कुमार ने उनके पति की भूमिका निभाई थी। फिल्म का संगीत, खासकर तेरे बिना जिंदगी से कोई शिकवा तो नहीं आज भी लोगों के दिलों में जिंदा है।