राजेंद्र नाथ (फोटो-सोशल मीडिया)
मुंबई: प्रेम नाथ के भाई और महशूर कॉमेडियन राजेंद्र नाथ की 8 जून को बर्थ एनीवर्सरी हैं। राजेंद्र नाथ का जन्म 8 जून 1931 में हुआ था। राजेंद्र के पिता करतार नाथ रीवा शहर के आईजी ऑफ पुलिस थे। राजेंद्र के आठ भाई और चार बहनें थीं। राजेंद्र डॉक्टर बनना चाहते थे। बड़े भाई का फिल्मों में रुझान देखते हुए उनकी भी फिल्मों में रूचि बढ़ने लगी थी। ऐसे में कॉमेडियन ने अपने बड़े भाई को देखकर ही फिल्मों में काम करने के लिए अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी थी।
प्रेम नाथ के कहने पर रीवा में स्कूलिंग पूरी करने के बाद राजेंद्र नाथ भी 1947 में बॉम्बे आ गए गए। राजेंद्र नाथ की बहन कृष्णा की शादी पृथ्वीराज कपूर के बेटे राज कपूर से हुई थी। ऐसे में उन्हें बॉम्बे में मदद मिल गई। राजेंद्र नाथ पहले पृथ्वी थिएटर से जुड़े, जिसके बाद उन्होंने दीवार, राकुंतला और पठान जैसे नाटकों में हिस्सा लिया। राजेंद्र नाथ बॉम्बे आ तो गए थे, लेकिन काम को लेकर उनकी लापरवाही बड़े भाई से बर्दाश्त नहीं हुई। एक दिन गुस्से में आकर प्रेम ने राजेंद्र को घर से निकाल दिया था।
राजेंद्र नाथ स्ट्रगल के साथ लाइफ में आगे बढ़ते गए। फिल्मों में छोटे-मोटे किरदार निभाते रहे। फिर 10 साल के लंबे इंतजार के बाद एक ऐसी फिल्म मिली, जिसने राजेंद्र नाथ को मशहूर कर दिया। यह थी फिल्म ‘दिल देके देखो’। इसके बाद तो राजेंद्र नाथ को धड़ाधड़ फिल्में मिलना शुरू हो गईं। लेकिन राजेंद्र नाथ की जिंदगी में बुरा वक्त फिर से लौटकर आया। जब उनकी फिल्में नहीं चल रही थीं, तो एक्टर ने खुद ही एक फिल्म बनाने का फैसला किया।
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राजेंद्र नाथ ने अपने फिल्म में रणधीर कपूर और नीतू सिंह को साइन किया। हालांकि, यह फिल्म ओवर बजट होने की वजह से 10 दिन में ही बंद कर दी गई थी। इससे राजेंद्र नाथ पर लाखों रुपये का कर्ज हो गया। उन्होंने जिन लोगों से पैसे लेकर फिल्म में लगाए थे, वो भी वापस मांगने लगे। कर्जदार राजेंद्र के घर पर खड़े हो जाते। यूपी के डिस्ट्रीब्यूटर्स ने राजेंद्र नाथ को खून के आंसू रुलाने की ठान ली थी। उन्होंने एक्टर को दिए गए पैसों पर तगड़ा ब्याज लगाया और सारा वसूल कर लिया।
साल 1991 में प्रेम नाथ का निधन हो गया था। इससे राजेंद्र नाथ बुरी तरह टूट गए थे। कुछ सालो बाद राजेंद्र दूसरे भाई नरेंद्र भी चल बसे थे। इससे राजेंद्र नाथ का अपनी जिंदगी से मोह भंग हो गया था। उन्होंने अपने आखिरी दिन गुमनामी के अंधेरे में गुजारे। सबसे मिलना-जुलना बंद कर दिया था और बस अकेले ही रहते थे। साल 2008 में राजेंद्र नाथ का निधन हो गया था।