बोईसर विधानसभा सीट (डिजाइन फोटो)
पालघर: महाराष्ट्र में चुनावों का औपचारिक ऐलान अभी बाकी है लेकिन राजनीतिक दलों और राजनेताओं की धमाचौकड़ी ने इस बात की तस्दीक कर दी है कि राज्य में विधानसभा चुनावों की बेला आ गई है। हर एक दल सियासी शतरंज की बिसात पर शह और मात की बाजी खेलने के लिए तैयार है। किसे मोहरा बनाना है किसे वजीर इस बात पर भी मंथन जारी है। इस मौके पर हमारी भी जिम्मेदारी है कि हम आप तक हर सीट से जुड़ी सारी जानकारी पहुंचाएं।
इस सफर में हमारा कारवां पालघर जिले की बोईसर विधानसभा सीट तक आ पहुंचा है। यह महाराष्ट्र की एक ऐसी सीट है जहां अब तक कोई भी बड़ा दल अपने पैर तक नहीं रख सका है पैर जामाना दूर की कौड़ी है। यहां अब तक हुए तीन चुनावों में हितेन्द्र ठाकुर की पार्टी बहुजन विकास अघाड़ी ने ही बाजी मारी है। बाकी किसी भी सियासी पार्टी की गाड़ी विजयपथ पर फर्राटे नहीं भर सकी है।
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2009 में विधानसभा चुनाव से पहले अस्तित्व में आई बोईसर विधानसभा क्षेत्र में कुल 243557 मतदाता हैं। जबकि यहां पहले चुनाव में कुल 137939 वोट डाले गए थे। पहली बार बहुजन विकास आघाड़ी के उम्मीदवार तारे विलास सुकुर इस सीट से जीते और विधायक बने। उन्हें कुल 53727 वोट मिले। जबकि शिवसेना के उम्मीदवार धनवा सुनील पांडुगरंग कुल 40649 वोटों के साथ दूसरे स्थान पर रहे और 13078 वोटों से हार गए।
साल | प्रत्याशी | पार्टी | कुल वोट |
2019 | राजेश रघुनाथ पाटिल | बीवीए | 78703 |
2014 | तारे विलास सुकुर | बीवीए | 64550 |
2009 | तारे विलास सुकुर | बीवीए | 53727 |
एसटी कैटेगरी के लिए आरक्षित इस सीट पर आदिवासियों का दबदबा भी देखने को मिलता है। यहां कुल वोट का करीब 46 फीसदी मतदाता आदिवासी समुदाय से आते हैं। 2019 के आंकड़ों के अनुसार यहां कुल आदिवासी वोटर्स की संख्या करीब 1 लाख 32 हजार के आस पास है। जबकि 20 हजार के के करीब दलित वोटर्स और लगभग 7 हजार दलित मतदाता भी शामिल हैं। यहां करीब 58 फीसदी वोटर्स ग्रामीण क्षेत्र से आते हैं। इसलिए गांव गरीब के मुद्दे चुनावी में छाए रहते हैं।
2009 और 2014 विधानसभा चुनाव में यहां तारे विलास सुकुर ने बहुजन विकास अघाड़ी के टिकट पर जीत दर्ज की, लेकिन 2019 चुनाव से ठीक पहले उन्होंने शिवसेना ज्वाइन कर ली। शिवसेना के टिकट पर चुनाव लड़ा लेकिन बहुजन विकास अघाड़ी के उम्मीदवार राजेश रघुनाथ पाटिल से करीब 2 हजार वोटों से हार गए। हार का अंतर और बहुजन विकास अघाड़ी के लिए एंटी इनकम्बेंसी इस बार उन्हें टिकट मिलने पर दोबारा विधायक बना सकती है।
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