लखीसराय विधानसभा सीट (सोर्स- डिजाइन)
Lakhisarai Assembly Constituency: बिहार के लखीसराय जिले की लखीसराय विधानसभा सीट आगामी चुनाव में एक बार फिर राजनीतिक चर्चा का केंद्र बन गई है। मुंगेर लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली यह सीट हलसी, बड़हिया और रामगढ़ चौक प्रखंडों को समेटे हुए है। यहां का राजनीतिक इतिहास और सामाजिक संरचना इसे चुनावी रणनीति के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण बनाते हैं।
लखीसराय विधानसभा क्षेत्र की स्थापना 1977 में हुई थी और अब तक यहां 11 चुनाव हो चुके हैं। इनमें से पांच बार भाजपा ने जीत दर्ज की है, जिससे यह सीट पार्टी का मजबूत गढ़ बन चुकी है। 2010 से भाजपा ने लगातार तीन बार जीत हासिल की है। वर्तमान विधायक विजय कुमार सिन्हा ने 2020 में कांग्रेस के अमरेश कुमार को हराकर अपनी पकड़ और मजबूत की।
इस सीट पर जनता पार्टी और जनता दल को दो-दो बार सफलता मिली है, जबकि कांग्रेस ने केवल एक बार 1980 में जीत दर्ज की थी। राजद ने अक्टूबर 2005 में एक बार यह सीट जीती थी, जिससे भाजपा की जीत का सिलसिला टूटा था। हालांकि, इसके बाद से विपक्ष को यहां लगातार हार का सामना करना पड़ा है। 2025 में विपक्ष के लिए यह सीट फिर से चुनौती बनकर सामने है।
लखीसराय का इतिहास काफी पुराना है। पाल वंश के दौरान यह प्रशासनिक और धार्मिक केंद्र के रूप में स्थापित था। बुद्ध साहित्य में इसे ‘अण्पुरी’ कहा गया है, जिसका अर्थ है जिला। प्राचीन काल में यह क्षेत्र मुंगेर या अंग देश के नाम से जाना जाता था। यहां की चट्टानों, पहाड़ों और मूर्तियों में हिंदू और बौद्ध धर्म की छाप स्पष्ट रूप से देखी जा सकती है।
लखीसराय जिले में स्थित अशोकधाम मंदिर, जिसे इंद्रदेवन्स्वर महादेव मंदिर के नाम से भी जाना जाता है, धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। 1977 में एक बच्चे द्वारा जमीन के नीचे विशाल शिवलिंग की खोज के बाद यह स्थल श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र बन गया। 1993 में जगन्नाथपुरी के शंकराचार्य द्वारा मंदिर परिसर के पुनर्निर्माण का उद्घाटन किया गया था।
लखीसराय की सामाजिक संरचना बहुजातीय है, जिसमें ब्राह्मण, भूमिहार, यादव, दलित और मुस्लिम समुदायों की भागीदारी उल्लेखनीय है। भाजपा का परंपरागत जनाधार उच्च जातियों और पिछड़े वर्गों में रहा है, जबकि विपक्ष इन वर्गों के साथ-साथ अल्पसंख्यक मतदाताओं को साधने की कोशिश करता रहा है। जातीय समीकरण यहां हर चुनाव में निर्णायक भूमिका निभाते हैं।
लखीसराय में सड़क, शिक्षा, स्वास्थ्य और सिंचाई जैसे मुद्दे लंबे समय से चर्चा में हैं। भाजपा ने विकास के नाम पर अपनी पकड़ मजबूत की है, लेकिन विपक्ष इन मुद्दों को लेकर जनता के बीच सवाल खड़े कर रहा है। स्थानीय मतदाता अब विकास के वादों और जमीनी हकीकत के बीच संतुलन तलाश रहे हैं।
आगामी विधानसभा चुनाव में लखीसराय सीट पर भाजपा और विपक्ष के बीच कड़ा मुकाबला देखने को मिल सकता है। भाजपा जहां अपने विजयी रथ को आगे बढ़ाने की कोशिश में है, वहीं विपक्ष इस गढ़ को भेदने की रणनीति बना रहा है। उम्मीदवार की छवि, संगठन की ताकत और जातीय समीकरण इस बार भी चुनावी परिणाम को प्रभावित करेंगे।
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लखीसराय विधानसभा सीट पर 2025 का चुनाव केवल एक सीट की लड़ाई नहीं, बल्कि पूरे जिले की राजनीतिक दिशा तय करने वाला मुकाबला होगा। यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या भाजपा अपनी जीत का सिलसिला जारी रखेगी या विपक्ष इस बार कोई नया इतिहास रचने में सफल होगा।