दिल्ली में बीजेपी ने आम आदमी पार्टी को जीत का चौका लगाने से रोक दिया है। आप पार्टी के दिग्गज नेताओं को हार का सामना करना पड़ा है। अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया सहित कई बड़े नेता अपनी सीट बचाने में नकामयाब रहे। अरविंद केजरीवाल के इस्तीफे के बाद दिल्ली में आतिशी को मुख्यमंत्री बनाया गया था जिसने दिल्ली का चुनावी परिदृश्य बदल दिया। वहीं, कांग्रेस का टिकट बंटवारा आम आदमी पार्टी को कई सीटों पर भारी पड़ता नजर आया। दिल्ली में भाजपा की जीत और आम आदमी पार्टी की हार के कई कारण हो सकते हैं।
दिल्ली में अरविंद केजरीवाल ने तीन बार सरकार बनाई थी जिसमें लोकलुभावन नीतियों को सत्ता का कारण माना जाता है। केजरीवाल के इर्द गिर्द घूमने वाली पार्टी को दिल्ली की शराब नीति से जुड़े मामले में गिरफ्तारी और जेल का सामना करना पड़ा। जिसमें सत्येंद्र जैन, मनीष सिसोदिया, अरविंद केजरीवाल और संजय सिंह को जेल तक जाना पड़ा। ऐसे में विपक्षी पार्टियों ने भ्रष्टाचार के आरोप लगाए जिसने पार्टी पर बुरा प्रभाव डाला।
दिल्ली में मुख्यमंत्री आवास को आलीशान तरीके से बनाने और उस पर करोड़ों रुपए खर्च करने का मुद्दा भी उठाया गया। भाजपा ने इसके लिए कई पोस्टर जारी किए और केजरीवाल को इस मुद्दे में घेरा। वहीं कांग्रेस ने भी इस पर कई सवाल किए। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित तमाम नेताओं ने आम आदमी पार्टी को शीशमहल के मुद्दे को लेकर सवाल किए।
दिल्ली में यमुना की सफाई को लेकर भी कई तरह के सवाल उठाए गए। चुनाव प्रचार के दौरान यमुना की सफाई, सड़कें और जलभराव से संबंधित मुद्दों को उठाया गया। भाजपा और कांग्रेस दोनों ने ही इन मुद्दों पर अरविंद केजरीवाल को घेरा। लेकिन अरविंद केजरीवाल ने यमुना के गंदे पानी का बिल हरियाणा सरकार पर फोड़ दिया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चुनावी सभा में आम आदमी पार्टी को आपदा कह कर पुकारा। इस तरह का चुनावी नारा बीजेपी कार्यकर्ताओं में जोश को दोगुना कर रहा था। जिसके जरिए केजरीवाल और उनकी पार्टी को निशाना बनाया जा रहा था। इस तरह के चुनाव प्रचार का असर आप को टक्कर देने में काफी कामयाब नजर आया।
पिछले विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को एक भी सीट नहीं मिली थी। लोकसभा में विपक्षी एकता का नारा देने वाली आप और कांग्रेस दिल्ली चुनाव में अलग-अलग हो गई। कांग्रेस ने चुनाव में जीत के लिए पूरी ताकत झोंक दी जिसका असर परिणामों में दिख रहा है। कांग्रेस को करीब 6.86 फीसदी वोट मिले हैं। हालांकि वह कोई सीट जीतने में कामयाब नहीं हुई।