दिल्ली विधानसभा चुनाव में इस बार बीजेपी कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती है। इस बार के चुनावों में स्थानीय नेताओं से लेकर पार्टी के आला नेताओं तक को जिम्मेदारियां सौंपी गई हैं। वरिष्ठ नेताओं, मंत्रियों और सांसदों को दिल्ली के हर क्षेत्र में पिछली बार की तुलना में वोट बढ़ाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। खास बात यह है कि इन नेताओं को चुनाव प्रचार से दूर रहकर लोगों के बीच काम करना है।
दिल्ली में पीएम मोदी की अध्यक्षता में यह तय किया गया है कि इस बार का दिल्ली चुनाव बीजेपी के पक्ष में आने के लिए पूरी कोशिश करनी है। जिसके लिए हर सीट पर पिछले चुनाव के मुकाबले 20 हजार वोट ज्यादा लाने का लक्ष्य रखा गया है। हर बूथ पर कम से कम 50 प्रतिशत वोट बीजेपी को मिले यह सुनिश्चित करना पार्टी का काम है।
बीजेपी ने केंद्रीय मंत्रियों, पदाधिकारियों, पड़ोसी राज्यों के नेताओं को जिम्मेदारी सौंपी गई है। हर नेता को दो विधानसभा क्षेत्र सौंपे गए हैं जैसे केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल को दिल्ली कैंट और वजीरपुर, भूपेंद्र यादव को महरौली और बिजवासन आदि। जानकारी के अनुसार करीब 27 नेताओं को 54 विधानसभा सीटों पर काम करना है।
वहीं पार्टी ने दिल्ली में रहने वाले दूसरे राज्यों से जुड़े मतदाताओं को लुभाने के लिए संबंधित राज्यों के विधायक, सांसद, मंत्रियों को भी जिम्मा सौंपा गया है। दिल्ली में तीन लाख तेलुगु वोटर हैं जिनके लिए आंध्र प्रदेश के बीजेपी और टीडीपी विधायक, सांसदों और मंत्रियों को कार्यभार सौंपा गया है। वहीं मध्य प्रदेश, कर्नाटक, गुजरात और उत्तराखंड जैसे राज्यों के दिल्ली में रहने वाले लोगों के लिए बीजेपी ने नेताओं को दिल्ली बुलाया है।
साथ ही बीजेपी उन मतदाताओं की सूची भी तैयार करवा रही है जो दिल्ली से बाहर रहते हैं लेकिन उनका वोट दिल्ली में ही है। ताकि वह पांच फरवरी को दिल्ली विधानसभा चुनाव में वोट डालने आ सकें। इसके अलावा काम करने वाले कर्मचारियों से भी संपर्क साधा जा रहा है।