भाजपा प्रवक्ता गौरव भाटिया
नई दिल्ली : विधानसभा के अंदर से लेकर बाहर तक भाजपा के नेता कांग्रेस और आप को लगातार घेर रहे हैं। अब भाजपा प्रवक्ता गौरव भाटिया ने दोनों ही दलों को दलित विरोधी करार दिया है। भाजपा नेता ने कहा है कि ये दोनों पार्टियां दलितों को आगे बढ़ते हुए नहीं देखना चाहती हैं।
भाजपा नेता ने शुक्रवार को आरोप लगाया कि अरविंद केजरीवाल की पार्टी ने दिल्ली में दलित कल्याण योजनाओं के कोष का प्रयोग ही नहीं किया। यह पूरा फंड ऐसे ही पड़ा रह गया। वहीं कर्नाटक की कांग्रेस सरकार ने अनुसूचित जाति (एससी) के सदस्यों के अधिकार छीनने के लिए मुस्लिमों के लिए 4 फीसदी आरक्षण लागू कर दिया।
भाटिया ने कहा कि दिल्ली में आप की पूर्ववर्ती सरकार ने 2022-23 में ‘जय भीम मुख्यमंत्री प्रतिभा विकास योजना’ के संचालन के लिए 70 करोड़ रुपये आवंटित किए थे, लेकिन इस धनराशि का कोई प्रयोग ही नहीं किया गया। यह सिर्फ चुनाव जीतने के लिए आवंटित किया गया था। 2023-24 के बजट में पार्टी ने इस मद पर बजटीय परिव्यय को घटाकर 20 करोड़ रुपये कर दिया और आवंटित निधि में से भी सिर्फ 1 लाख रुपये का प्रयोग किया गया। 20 करोड़ भी दलितों के सहायता के लिए लगते तो काफी सहूलियत हो जाती।
पिछली आप सरकार ने 2020-21 के बजट में शहर में दलित बस्तियों के सुधार के लिए 65 करोड़ रुपये आवंटित किए थे, लेकिन केवल 50 लाख रुपये ही खर्च किए। उन्होंने आरोप लगाया कि केजरीवाल ने विज्ञापनों में करोड़ों रुपये खर्च किए। पंजाब में दलित उपमुख्यमंत्री बनाने का वादा किया था, वह भी पूरा नहीं किया। यह उनकी दलित विरोधी मानसिकता का प्रमाण है।
भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि कांग्रेस तुष्टिकरण की राजनीति करती है। कर्नाटक में कांग्रेस सरकार ने सिविल कार्यों में मुसलमानों के लिए चार प्रतिशत का आरक्षण लागू किया है। राहुल गांधी ये बताएं कि वह भारत का संविधान पढ़ते हैं और उसकी शपथ लेते हैं या किसी अन्य देश का। संविधान में कहां लिखा है कि धर्म के आधार पर सिविल कार्यों में आरक्षण देय होगा। सिविल कार्यों में मुसलमानों को चार प्रतिशत आरक्षण देने के कर्नाटक सरकार के फैसले से पता चलता है कि कांग्रेस में तुष्टिकरण की राजनीति हावी है।
भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि कर्नाटक में मुसलमानों के लिए चार प्रतिशत आरक्षण पिछड़े समुदायों के लोगों के अधिकारों को छीनेगा। सिख, ईसाई, जैन, बौद्ध और पारसियों के लिए ये प्रावधान क्यों नहीं लागू किया गया। आखिर वे भी अल्पसंख्यक हैं।