हारुन और तुफैल (सोर्स- सोशल मीडिया)
वाराणसी: वाराणसी से पकड़े गए आईएसआई एजेंट तुफैल से शुरुआती पूछताछ में कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। खुद को ‘गजवा-ए-हिंद’ और ‘हदीस’ के लिए लड़ने वाला सिपाही बताने वाला तुफैल पूरी तरह से पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के हनी ट्रैप में फंस चुका था।
पुलिस सूत्रों के मुताबिक, तुफैल फैसलाबाद की एक महिला ‘नफीसा’ के संपर्क में था, जो आईएसआई की बड़ी हैंडलर बताई जाती है। यहां तक कि नफीसा ने तुफैल को अपना असली नाम भी नहीं बताया था। नफीसा उससे कहती थी कि वह जहां भी जाए, वहां से उसे अपनी नई तस्वीर भेजे। वह तुफैल को दिन में कई बार देखकर भी नहीं थकती है।
तुफैल नफीसा को वाराणसी, दिल्ली और दूसरी संवेदनशील जगहों की फोटो और वीडियो भेजता था। नफीसा के कहने पर उसने अपने मोबाइल की जीपीएस लोकेशन भी ऑन कर रखी थी, जिससे हर फोटो के साथ सही लोकेशन की जानकारी पाकिस्तान पहुंच रही थी।
पांच साल पहले एक मजलिस के दौरान तुफैल पाकिस्तान के कट्टरपंथी संगठन ‘तहरीक-ए-लब्बैक’ से जुड़े मौलाना शाह रिजवी के संपर्क में आया था। इसके बाद उसने यूपी के कन्नौज, हैदराबाद और पंजाब में मजलिस के नाम पर कई कट्टरपंथी बैठकों में हिस्सा लिया।
तुफैल के मोबाइल से पाकिस्तान के 800 से ज्यादा मोबाइल नंबर मिले हैं। वह 19 व्हाट्सएप ग्रुप चलाता था, जिनमें से ज्यादातर वाराणसी और आजमगढ़ के थे। इन ग्रुप के जरिए वह मौलाना साद के कट्टरपंथी वीडियो फैलाता था और युवाओं को ‘गजवा-ए-हिंद’ अभियान से जोड़ता था।
उसके भेजे वीडियो में बाबरी विध्वंस का बदला लेने संबंधी भाषणों के वीडियो भी मिले हैं। तुफैल कई चैट्स डिलीट कर चुका है जिन्हें अब यूपी एटीएस रिकवर कर रही है। जल्द ही यूपी एटीएस रिमांड के लिए लखनऊ कोर्ट में अर्जी दाखिल करेगी, ताकि इस गंभीर मामले की और परतें खुल सकें।
वहीं, यूपी एटीएस ने दिल्ली से गिरफ्तार हारून के बारे में भी बड़ा खुलासा किया है। जांच में पता चला है कि हारून पाकिस्तान उच्चायोग में कार्यरत अधिकारी मुजम्मिल हुसैन के लिए फर्जी बैंक खातों की व्यवस्था करता था। मुजम्मिल पाकिस्तानी वीजा लेने वालों से इन बैंक खातों में पैसा ट्रांसफर करवाता था और फिर हारून के जरिए यह रकम दूसरे लोगों तक पहुंचाई जाती थी।
सूत्रों के मुताबिक, इस बात को लेकर गंभीर संदेह जताया जा रहा है कि यह पैसा किसके पास भेजा जाता था, कहीं यह पैसा भारत में सक्रिय आईएसआई एजेंटों को तो नहीं भेजा जा रहा था। यूपी एटीएस इस एंगल से गहन जांच कर रही है। एटीएस अब हारून के मोबाइल डेटा और उसके नाम या उसके जरिए खोले गए सभी बैंक खातों की जांच कर रही है।
पिछले तीन सालों में किस-किस व्यक्ति को कितना पैसा दिया गया और किस मकसद से ट्रांसफर किया गया, इसका रिकॉर्ड खंगाला जा रहा है। एटीएस को शक है कि इन खातों में जमा पैसे का इस्तेमाल भारत में जासूसी नेटवर्क को फंड करने में किया जाता था।