कर्नाटक के शिवमोगा में एक ऐसी खौफनाक घटना (कॉन्सेप्ट फोटो)
कर्नाटक के शिवमोगा में एक ऐसी खौफनाक घटना सामने आई है, जिसने इंसानियत को झकझोर कर रख दिया है। एक व्यक्ति ने कर्ज चुकाने को लेकर बहस के दौरान अपनी पत्नी की नाक दांत से काट दी। पीड़िता विद्या की हालत गंभीर है और वह अस्पताल में भर्ती है। घटना ने पुलिस और समाज दोनों को स्तब्ध कर दिया है। घरेलू हिंसा की यह चरम हद एक बार फिर दर्शाती है कि मामूली विवाद कैसे हिंसा में बदल जाते हैं और महिलाओं को इसका खामियाजा भुगतना पड़ता है।
यह घटना 8 जुलाई को शिवमोगा में हुई। पीड़िता विद्या और उसका पति विजय, दोनों दावणगेरे जिले के मंतरघट्टा गांव के निवासी हैं। बताया गया कि दोनों में कर्ज को लेकर बहस हुई थी, जो अचानक हिंसक हो गई। हाथापाई के दौरान विद्या गिर पड़ी और गुस्से में विजय ने उसकी नाक को दांत से काट दिया। स्थानीय लोगों ने तुरंत हस्तक्षेप किया और विद्या को अस्पताल पहुंचाया। पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है और अब इसकी जांच जारी है।
नाक पर दांत से हमला, महिला गंभीर हालत में भर्ती
घटना की पुष्टि करते हुए पुलिस ने बताया कि विद्या को पहले शिवमोगा के मेगन अस्पताल में भर्ती किया गया था, जहां से उसे बेहतर इलाज के लिए एक निजी अस्पताल में स्थानांतरित कर दिया गया। विद्या की शिकायत पर जयनगर पुलिस स्टेशन में मेडिको-लीगल केस (MLC) दर्ज हुआ, जिसे बाद में चन्नगिरी पुलिस स्टेशन को ट्रांसफर कर दिया गया। आरोपी पति विजय फरार बताया जा रहा है, और पुलिस उसकी तलाश में जुटी है।
कानपुर में भी सामने आई थी ऐसी ही बर्बर घटना
यह पहली बार नहीं है जब इस तरह की हिंसा की खबर आई हो। मई 2024 में उत्तर प्रदेश के कानपुर के रतन प्लैनेट रेजिडेंशियल सोसाइटी में पार्किंग विवाद को लेकर क्षितिज मिश्रा नाम के व्यक्ति ने सोसाइटी के सेक्रेटरी आरएस यादव की नाक काट दी थी। घटना का वीडियो भी सामने आया था, जिसमें आरोपी हमले के बाद बिना डर के वहां से चलता बना। आरएस यादव को इलाज के लिए दिल्ली भेजा गया था क्योंकि कानपुर में उनकी नाक जोड़ने में डॉक्टर असमर्थ रहे।
यह भी पढ़ें: दशकों पुरानी घटना, महीनों की रणनीति; पकड़े गए कोयंबटूर सीरियल बम धमाकों के आतंकी
कर्नाटक की घटना ने एक बार फिर घरेलू हिंसा के मुद्दे को सतह पर ला दिया है। ऐसे अपराध यह दिखाते हैं कि घरेलू कलह किस कदर विकराल रूप ले सकती है। पुलिस ने केस को गंभीरता से लेते हुए जांच तेज कर दी है। साथ ही, समाज को भी अब ऐसे मामलों में केवल प्रतिक्रिया देने के बजाय चेतना और शिक्षा के स्तर पर काम करने की जरूरत है, ताकि परिवार हिंसा का नहीं, सहअस्तित्व का प्रतीक बनें।