Chhattisgarh Murder Mistry: छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले से एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसे सुनकर हर कोई दंग रह जा रहा है। ये ऐसा मामला है जो पुलिस जांच, न्यायिक प्रक्रिया और पूरे सिस्टम के लिए एक बड़ी चुनौती बन गया है। दरअसल, जिस सीमित खाखा नामक युवक को पुलिस रिकॉर्ड में मृत घोषित कर उसकी हत्या का केस सुलझा लिया गया था। अब वही युवक अचानक जिंदा हालत में थाने पहुंच गया। थाने पहुंचकर वो बोला- साहब, मैं जिंदा हूं। मेरी हत्या नहीं हुई है। यह सुनते ही पुलिस अधिकारियों, परिजनों और ग्रामीणों के होश उड़ गए।
इस कहानी की शुरुआती 22 अक्टूबर से होती है। जब पुरनानगर-बालाछापर मार्ग के तुरीटोंगरी जंगल में एक युवक की अधजली लाश गड्ढे में पड़ी मिली थी। चेहरा और शरीर का अधिकांश हिस्सा बुरी तरह जला हुआ था। पुलिस ने केस दर्ज कर शव का पोस्टमार्टम कराया। रिपोर्ट में सामने आया कि युवक की हत्या हुई है। सिटी कोतवाली जशपुर में बीएनएस की धारा 103(1) और 238(क) के तहत हत्या का मामला दर्ज किया गया।
पुलिस जांच में यह सामने आया कि सीमित खाखा मजदूरी के लिए झारखंड गया था। उसके साथ गए अन्य युवक लौट आए, लेकिन सीमित वापस नहीं आया। पुलिस के अनुसार, 17 अक्टूबर को सीमित अपने साथियों के साथ जशपुर लौटा था। बांकी नदी पुलिया के पास शराब पार्टी के दौरान कमीशन को लेकर विवाद हुआ, जिसमें रामजीत राम ने चाकू से और विरेंद्र राम ने लोहे की रॉड से हमला किया। आरोप लगा कि हत्या के बाद शव को जंगल में फेंककर पेट्रोल डालकर जला दिया गया।
कार्यपालिक मजिस्ट्रेट के सामने अधजली लाश की पहचान सीमित की मां, पिता और भाई ने सीमित खाखा के रूप में की। पुलिस ने फॉरेंसिक ‘सीन ऑफ क्राइम’ रिक्रिएट करवाया। आरोपियों के बयान न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष दर्ज हुए, जहां उन्होंने हत्या की वारदात कबूल भी की। पूरी प्रक्रिया की वीडियो रिकॉर्डिंग भी करवाई गई। इसके बाद पांच आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया।
शनिवार, 20 दिसंबर की रात वह मोड़ आया जिसने पूरी कहानी उलट कर रख दी। ग्राम पंचायत सिटोंगा की सरपंच कल्पना खलखो के साथ सीमित खाखा खुद सिटी कोतवाली थाना पहुंच गया। सरपंच के अनुसार, सीमित झारखंड से आने वाली बस से उतरा था। एक ऑटो चालक ने उसे पहचान लिया और सूचना दी कि जिस युवक की हत्या के आरोप में लोग जेल में हैं, वही युवक जिंदा सामने है।
पुलिस को सीमित ने बताया कि रांची पहुंचने के बाद वह साथियों से बिछड़ गया और गिरिडीह जिले के सरईपाली गांव में खेतों में मजदूरी करने लगा। उसके पास मोबाइल नहीं था, इसलिए किसी से संपर्क नहीं हो सका। क्रिसमस से पहले घर लौटते ही यह सनसनीखेज सच्चाई सामने आई।
सीमित के जीवित मिलने के बाद पुलिस के सामने सबसे बड़ा सवाल यही है कि जंगल में मिली अधजली लाश आखिर किसकी थी? एसडीओपी चंद्रशेखर परमा का कहना है कि पुलिस ने सभी कानूनी प्रक्रियाओं का पालन किया था, जैसे कि पहचान, बयान और रिकॉर्डिंग। अब नए सिरे से जांच शुरू की गई है और आरोपियों की अस्थायी रिहाई की वैधानिक प्रक्रिया अपनाई जा रही है।
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एसएसपी शशि मोहन सिंह ने बताया कि वास्तविक मृतक की पहचान के लिए राजपत्रित अधिकारी के नेतृत्व में विशेष जांच टीम गठित की गई है। फिलहाल यह मामला सिर्फ एक हत्या नहीं, बल्कि सिस्टम की सबसे जटिल पहेली बन चुका है, जिसे मरा मानकर इंसाफ की कहानी लिखी गई, वह जिंदा है और जो सच में मरा, उसकी पहचान अब भी अंधेरे में है।