इन महिलाओं ने शिक्षा के क्षेत्र में भरा रंग (सौ.डिजाइन फोटो)
International Women’s Day 2025: हर साल की तरह इस साल भी 8 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाने वाला है। यह दिन महिलाओं के योगदान और समर्पण से जुड़ा है। हमारे जीवन में महिलाओं का क्या स्थान है एक महिला के कई रूप होते है मां, बेटी,बहू। इन सभी रूप में अलग भाव झलकता है। एक अकेली महिला जीवन के हर मुकाम पर हिम्मत से लड़ जाती है। हमारे देश में भी ऐसी ही कई महिलाएं रही जिन्होंने टेक्नॉलजी से लेकर शिक्षा, मेडिकल, राजनीति जैसे कई क्षेत्रों में योगदान दिया है।
आज हम अपने लेख में ऐसी ही कुछ महिलाओं की चर्चा करेंगे जिन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में नया मुकाम कायम किया वहीं पर जिनके बिना शायद ही शिक्षा का कोई आधार होता है, चलिए जानते हैं इनके बारे में…
1- सावित्री बाई फुले
महिला दिवस पर आज हम बात कर रहे है भारत की पहली शिक्षक सावित्री बाई फुले के बारे में जिन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में नया किया है। लड़कियों के हक के लिए लड़ाई लड़ी। जब वह लड़कियों को पढ़ाने जातीं तो उन पर गोबर और पत्थर तक फेंके गए थे, लेकिन उसके बावजूद भी उन्होंने लड़कियों को पढ़ाना नहीं छोड़ा था। उन्होंने साल 1848 में पुणे में बालिका विद्यालय की स्थापना की और इसमें सावित्री बाई खुद शिक्षिका भी बनीं। सावित्री बाई फुले और ज्योतिराव फुले ने समाज के लिए और भी कई कार्य किए। उन्होंने ऐसी महिलाओं के लिए बालहत्या प्रतिबंधक गृह नाम का केयर सेंटर खोला जो गर्भवती होती थीं, लेकिन किसी वजह से बच्चे को पालने में समर्थ नहीं होती थीं।
2-दुर्गाबाई देशमुख
महिला दिवस पर आज हम बात कर रहे है दुर्गा बाई देशमुख की जिन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में नई कहानी गढ़ी है। वह एक स्वंत्रता सेनानी थीं, जिन्होंने महात्मा गांधी के आदर्शों पर चलते हुए स्कूलों की स्थापना की और उनमें महिलाओं को चरखा चलाने और कातने की ट्रेनिंग दी। आजादी के संघर्ष में लिप्त होने के बावजूद दुर्गाबाई ने अपनी पढ़ाई के लिए वक्त निकाला और बी.एल. व एम. ए. की डिग्री हासिल की। बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी के मैट्रिक एग्जाम के लिए उन्होंने आंध्र महिला सभा की स्थापना भी की, जहां लड़कियों को उस एग्जाम की ट्रेनिंग दी जा सके।
3-बेगम ज़फर अली
महिला दिवस पर आज हम बात कर रहे है एक प्रभावशाली महिला बेगम ज़फर अली की जो कश्मीर की पहली ऐसी महिला थीं जिसने मैट्रिक पास किया था। बाद में वह कश्मीर की इंस्पेक्टर ऑफ स्कूल्स भी बनीं। इतना ही नहीं ज़फर अली एक शिक्षाविद थी और महिलाओं के हक व आज़ादी के लिए भी काम करती थीं। उनके पिता खान बहादुर अगा सईद हुसैन मैट्रिक पास करने वाले कश्मीर के पहले शख्स थे। कई स्कूलों में बेगम ज़फर अली ने प्रधान अध्यापिका के तौर पर भी काम किया। लड़कियों को पढ़ाने के अलावा वह उन्हें शिक्षा और उनके हक के लिए भी प्रोत्साहित करती थीं।
4- कादंबिनी गांगुली और चंद्रमुखी बसु
महिला दिवस पर आज हम बात कर रहे है कादंबिनी गांगुली और चंद्रमुखी बसु भारत की पहली दो महिला स्नातक थीं। कादंबिनी देश की पहली महिला फिजिशन भी थीं और उन्होंने कोयला खदानों में काम करने वाली महिलाओं की स्थिति को भी सुधारने के लिए काफी काम किया था।
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5- महादेवी वर्मा
महिला दिवस पर आज हम बात कर रहे है महान लेखिका महादेवी वर्मा हिंदी भाषा की प्रख्यात कवयित्री, स्वतंत्रता सेनानी और शिक्षाविद थीं। वह ज़्यादातर हिंदी में लिखती थीं। उनकी गिनती हिन्दी कविता के छायावादी युग के चार प्रमुख स्तंभ सुमित्रानन्दन पन्त, जयशंकर प्रसाद और सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला के साथ की जाती है। इलाहाबाद (अब प्रयागराज) के प्रयाग महिला विद्यापीठ में उन्होंने बतौर प्रिंसिपल और वाइस चांसलर के तौर पर काम किया। महादेवी वर्मा की शुरुआती शिक्षा इंदौर में हुई। उन्होंने संस्कृत और पंचतंत्र की पढ़ाई की थी।