केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान (सौ. सोशल मीडिया X )
नई दिल्ली : बुधवार को केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने एक ऐसा सुझाव दिया है कि एक नए मॉडल का जिक्र किया है। जिसमें फसलों के ऊपर ऊंचे सोलर पैनल लगाए जा सकते हैं, ताकि किसान खाने और एनर्जी दोनों के प्रोवाइडर बन सकते हैं।
मंत्री ने यहां भारतीय राष्ट्रीय सौर ऊर्जा महासंघ यानी एनएसईएफआई द्वारा आयोजित राष्ट्रीय कृषि-नवीकरणीय ऊर्जा सम्मेलन-2025 में हिस्सा लिया। इस मौके पर चौहान ने महासंघ की रिपोर्ट और एग्रीकल्चर एंड रिन्यूऐबल एनर्जी पर वार्षिक संदर्भ पुस्तक का विमोचन किया।
एक सरकारी बयान में ये कहा गया है कि सम्मेलन का आयोजन एग्रीकल्चर सेक्टर में रिन्यूऐबल एनर्जी के एकीकरण के संबंध में नीति-निर्माताओं, विशेषज्ञों और किसानों के बीच संवाद और सहयोग को बढ़ावा देने के लिए किया गया था।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मंत्री ने कहा कि किसानों को इलेक्ट्रिक उपलब्ध कराने के मामले में सोलर पैनल प्रमुख सोर्स हो सकते हैं और पीएम-कुसुम योजना उनके लिए एनर्जी सिक्योरिटी सुनिश्चित करने की दिशा में काम कर रही है। उन्होंने कहा है कि खेतों में फसल उगाने के लिए ऊंचे सोलर पैनल लगाने का मॉडल भी प्रस्तावित किया, जिसमें कहा गया कि इस तरह के मॉडल छोटे और मध्यम स्तर के किसानों को खाने और एनर्जी प्रोवाइडर दोनों में बदल सकते हैं।
मंत्री ने इस मॉडल पर ज्यादा गंभीरता से विचार करने और इसे विकसित करने का आग्रह किया। चौहान ने कहा कि अगर इस मॉडल के प्रभावी और मॉडर्न वर्जन सामने आते हैं, तो सरकार निश्चित रूप से इसके कार्यान्वयन का समर्थन करेगी। उन्होंने कहा कि किसानों की समृद्धि सुनिश्चित करने के लिए 6 प्रभावी उपायों पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। जिसमें प्रोडक्शन बढ़ाना, प्रोडक्शन कॉस्ट कम करना, उपज के लिए सही कीमत सुनिश्चित करना, नुकसान की स्थिति में मुआवजा प्रदान करना, विविधीकरण और भविष्य की पीढ़ियों के लिए भूमि को संरक्षित करने के लिए उर्वरकों का संतुलित उपयोग शामिल हैं।
मंत्री ने मिट्टी की उर्वरता बनाए रखने के लिए ऑर्गेनिक फॉर्मिंग के महत्व पर भी जोर दिया। चौहान ने कहा कि वर्ष 2014-15 से एग्री प्रोडक्शन में उल्लेखनीय बढ़त हुई है, टोटल प्रोडक्शन में 40 प्रतिशत की बढ़त हुई है। उन्होंने कहा कि गेहूं, चावल, मक्का और मूंगफली के प्रोडक्शन में बढ़त हुई है, लेकिन दालों और तिलहन के उत्पादन को बढ़ाने की आवश्यकता है।
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साथ ही उन्होंने कहा है कि भारत एग्रीकल्चर के बिना काम नहीं कर सकता है। उन्होंने कहा कि देश की 50 प्रतिशत आबादी अब भी रोजगार के लिए एग्रीकल्चर पर निर्भर है। उन्होंने कहा कि बदलते समय के साथ प्रतिस्पर्धा करने के लिए एकीकृत कृषि प्रणाली को अपनाना होगा।
(एजेंसी इनपुट के साथ)