सरकारी सेविंग स्कीम (सौ. सोशल मीडिया )
फिक्स्ड डिपॉजिट को मार्केट में निवेश का सबसे सुरक्षित माध्यम माना जाता है। लेकिन जून के महीने में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया यानी आरबीआई ने रेपो रेट में कटौती की है। तभी से देश के लगभग हर बड़े बैंक ने एफडी रेट्स में कटौती करने की घोषणा की है।
आपको बता दें कि पहले के मुकाबले अब एफडी से लोगों की कमाई काफी कम हो गई है। हालांकि अगर आप अपने पैसे को सुरक्षित जगह पर निवेश करना चाहते हैं, तो सरकार के द्वारा कुछ ऐसी सरकारी स्कीम्स आपके लिए काफी फायदेमंद साबित हो सकती हैं। इन सरकारी स्कीम्स में ना सिर्फ 0 रिस्क हैं, बल्कि इसमें रिटर्न भी फिक्स्ड है।
किसान विकास पत्र सरकार के द्वारा चलायी जाने वाली वो सेविंग स्कीम है, जिसमें 7.5 प्रतिशत की ब्याज दर मिलती है। इसकी सबसे खास बात तो ये है कि इसमें इंवेस्ट की गई अमाउंट 115 महीनों आनी 9 साल 7 महीने में दोगुनी हो जाती है। ये एक सिक्योर इंवेस्टमेंट है, जिसमें रिटर्न की गारंटी होती है। इस स्कीम में मिनिमम 1000 रुपये से इंवेस्टमेंट शुरु किया जा सकता है और मैक्सिमम इंवेस्टमेंट की कोई लिमिट नहीं है। साथ ही इस स्कीम में इनकम टैक्स एक्ट की सेक्शन 80 सी के अंतर्गत 1.5 लाख रुपये तक की टैक्स छूट मिलती है।
पोस्ट ऑफिस के द्वारा मंथली इनकम स्कीम चलायी जाती है। इस स्कीम में इंवेस्टर्स को 7.4 प्रतिशत की दर से रिटर्न भी मिलता है। इसका मैच्योरिटी पीरियड 5 साल हैं। इसमें मिनिमम 1,000 रुपये से इंवेस्टमेंट शुरु किया जा सकता है और 1000 रुपये के ज्यादा का भी निवेश कर सकते हैं। सिंगल अकाउंट के लिए मैक्सिमम डिपॉजिट अमाउंट 9 लाख रुपये और ज्वाइंट अकाउंट के लिए ये लिमिट 15 लाख रुपये हैं।
ये योजना रिटायरमेंट के बाद सीनियर सिटीजन को फाइनेंशियल स्टेबिलिटी देने के लिए बनायी गई है। इसमें 8.2 प्रतिशत की दर से आकर्षक ब्याज मिलता है। 60 साल से ज्यादा उम्र के लोग इस स्कीम में इंवेस्टमेंट कर सकते हैं। मिनिमम डिपॉजिट अमाउंट 1000 रुपये और मैक्सिमम लिमिट 30 लाख रुपये हैं। इसमें भी इनकम टैक्स की सेक्शन 80 सी के अंतर्गत 1.5 लाख रुपये तक की टैक्स छूट मिल सकती है।
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नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट यानी एनएससी में आपको 7.7 प्रतिशत की सालाना ब्याज दर मिलती है। इसकी मैच्योरिटी अवधि 5 साल है। इसमें मिनिमम 1000 रुपये का इंवेस्टमेंट शुरु किया जा सकता है और मैक्सिमम इंवेस्टमेंट की कोई लिमिट नहीं हैं। एनएससी में मिलने वाले इंटरेस्ट पर ब्याज देना पड़ता हैं।