वोडाफोन आइडिया (सौ. सोशल मीडिया )
नई दिल्ली : टेलीकॉम मिनिस्टर ज्योतिरादित्य सिंधिया ने वोडाफोन आइडिया यानी वीआईएल को लेकर दो टूक कह दिया है। सरकार की ओर से ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा है कि वोडाफोन आइडिया में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने की कोई प्लानिंग नहीं है। साथ ही उन्होंने कहा है कि सरकार ये बिल्कुल नहीं चाहती है कि टेलीकॉम कंपनी पब्लिक सेक्टर के उपक्रम यानी पीएसयू में बदल जाए।
ज्योतिरादित्य सिंधिया ने वोडाफोन आइडिया को तीखा जवाब देते हुए कहा कि अब उसे अच्छा परफॉर्मेंस सुनिश्चित करना होगा। हाल ही में स्पेक्ट्रम ऑक्शन के बकाया 36,950 करोड़ रुपये को इक्विटी में बदलने के बाद अब सरकार के पास वोडाफोन आइडिया लिमिटेड यानी वीआईएल में 48.99 प्रतिशत हिस्सेदारी हो गई है। इससे पहले ये आंकड़ा तकरीबन 22.6 प्रतिशत था। गौरतलब है कि कंपनी में अगर आगे सरकार की हिस्सेदारी बढ़ती है, तो यह पीएसयू में बदल जाएगी और कंपनी कैग यानी नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक और दूसरे निरीक्षण निकायों के दायरे में आ जाएगी।
सिंधिया ने पीटीआई-भाषा को दिए इंटरव्यू में कहा है कि अब यह सुनिश्चित करना उनका यानी वीआईएल काम है कि वे अच्छा परफॉर्म करें। आज सरकार के पास कंपनी में 49 प्रतिशत हिस्सेदारी है। सरकार का इसे पब्लिक सेक्टर अंटरस्टैंडिंग यानी पीएसयू बनाने का कोई इरादा नहीं है। इसलिए हम 49 प्रतिशत पर ही अड़े रहेंगे। कंपनी के भुगतान दायित्वों को पूरा करने की क्षमता के बारे में पूछे गए एक सवाल के जवाब में मंत्री ने कहा है कि यह सवाल आपको मुझसे नहीं वीआईएल से पूछना चाहिए। अब यह सुनिश्चित करना उनका काम है कि वे अच्छा परफॉर्म कर सकती हैं।
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एक्सपर्ट्स के अनुसार, सरकार द्वारा आउटस्टैडिंग अमाउंट को इक्विटी में बदलने से निकट अवधि में वीआईएल को राहत मिली है, लेकिन उसके लिए संरचनात्मक चुनौतियां बनी हुई हैं। इनमें ग्राहकों को रोकना, ड्यूटी को बढ़ाना और क्रेडिट एंहासमेंट जैसे कारक शामिल हैं। एमटीएनएल द्वारा बैंक लोन न चुकाने के मुद्दे पर मंत्री ने कहा कि कंपनी के पास पर्याप्त जमीन है और कर्ज चुकाने के लिए उसकी असेट्स को बाजार पर चढ़ाया जाएगा।
(एजेंसी इनपुट के साथ)