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Insurance: सुप्रीम कोर्ट ने दिया सुप्रीम कोर्ट को ऑर्डर, बोले – क्लेम अमाउंट के बारे में दोबारा सोचे कंज्यूमर कमीशन

देश के सर्वोच्च न्यायालय ने राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निपटान आयोग यानी एनसीडीआरसी को आदेश दिया है कि वो साल 2005 में एक कंपनी को हुए नुकसान के लिए इंश्योरेंस पॉलिसी के अंतर्गत दी जाने वाली क्लेम अमाउंट पर पुर्नविचार करें।

  • By अपूर्वा नायक
Updated On: Apr 07, 2025 | 08:56 PM

सुप्रीम कोर्ट, फोटो - सोशल मीडिया

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नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निपटान आयोग यानी एनसीडीआरसी को आदेश दिया है कि वो साल 2005 में एक कंपनी को हुए नुकसान के लिए इंश्योरेंस पॉलिसी के अंतर्गत दी जाने वाली क्लेम अमाउंट पर नए सिरे से सोचे। जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की बेंच एनसीडीआरसी के अगस्त, 2022 के निर्देश के खिलाफ इंश्योरेंस कंपनी की अपील पर सुनवाई को लेकर ये बात कही है।

एनसीडीआरसी ने माना है कि इंश्योरेंस कंपनी आगरा की कंपनी को अपनी पॉलिसी के अंतर्गत क्लेम देने के लिए उत्तरदायी है। इंश्योरेंस कंपनी को कारखाने का ‘शेड’ ढहने के कारण नुकसान हुआ था। कोर्ट ने कहा कि कंपनी ने इंश्योरेंस प्रोवाइडर से आग और विशेष खतरों के खिलाफ एक व्यापक बीमा पॉलिसी ले रखी थी और यह पॉलिसी 30 जून, 2005 से 29 जून, 2006 तक प्रभावी थी। 1 अगस्त, 2005 को भारी बारिश के कारण कारखाना शेड ढह गया और प्लांट, मशीनरी, भंडार और इमारतों को नुकसान पहुंचा।

बेंच ने कहा कि कंपनी ने 91 लाख रुपये का इंश्योरेंस क्लेम किया। इसके बाद इंश्योरेंस कंपनी ने एक सर्वेक्षक नियुक्त किया, जिसने नुकसान का आकलन 8.89 लाख रुपये किया। इंश्योरेंस कंपनी ने दावे को खारिज करते हुए तर्क दिया कि नुकसान बीमाकृत ‘बाढ़’ के रिस्क के कारण नहीं हुआ था और इसलिए यह पॉलिसी के दायरे से बाहर है।

कंपनी ने क्लेम को खारिज किए जाने के बाद एनसीडीआरसी से संपर्क किया। इंश्योरेंस कंपनी ने कहा कि उसने एक स्वतंत्र सर्वेक्षक को नियुक्त किया है जिसने पुष्टि की है कि नुकसान बाढ़ के कारण हुआ है और नुकसान का आकलन 46.97 लाख रुपये किया है। कंपनी ने एनसीडीआरसी में ये तर्क दिया है कि उसके परिसर का साल 2003 में जीर्णोद्धार किया गया था और बीमित शेड/फैक्ट्री की इमारतें अच्छी स्थिति में थीं, जिससे दीवारों के कमजोर होने या रिसाव के कारण ढहने की संभावना नहीं थी।

एनसीडीआरसी ने इंश्योरेंस देने वाली कंपनी को 46.97 लाख रुपये का भुगतान करने का निर्देश दिया। सुप्रीम कोर्ट ने इंश्योरेंस कंपनी ने कहा कि वह पॉलिसी के अंतर्गत मुआवजा देने की अपनी जिम्मेदारी से पीछे नहीं हट रही है, लेकिन एनसीडीआरसी ने क्लेम की राशि के बारे में उचित तरीके से विचार नहीं किया।

पीठ ने कहा है कि हमने इस बात पर गौर किया कि अपीलकर्ता यानी इंश्योरेंस कंपनी के सर्वेक्षक ने नुकसान का आकलन बहुत कम 8,89,176 रुपये किया, पर एनसीडीआरसी यह नहीं मान सकता कि अपीलकर्ता, कंपनी के सर्वेक्षक के एकतरफा 46,97,085 रुपये के बढ़े हुए आकलन को चुपचाप स्वीकार कर लेगा।

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कोर्ट ने कहा कि एनसीडीआरसी ने दावे की मात्रा तय करने में स्वतंत्र रूप से अपना दिमाग नहीं लगाया और कंपनी द्वारा प्रस्तुत सर्वेक्षक की रिपोर्ट में आकलन से इनकार करने में बीमा कंपनी की कथित विफलता पर ‘आंख बंद कर काम किया’। पीठ ने कहा है कि जैसा कि पहले बताया गया है, यह धारणा निराधार और गलत थी। कोर्ट ने प्रतिवादी को हुए नुकसान के लिए इंश्योरेंस पॉलिसी के अंतर्गत क्लेम अमाउंट पर नए सिरे से विचार करने के लिए मामले को एनसीडीआरसी को भेज दिया। इसने एनसीडीआरसी से मामले को प्राथमिक आधार पर जल्द फैसला लेने को कहा।

(एजेंसी इनपुट के साथ)

Supreme court orders for consumer commission for insurance policy

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Published On: Apr 07, 2025 | 08:56 PM

Topics:  

  • Business News
  • Insurance
  • Supreme Court

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