सेबी और यूपीआई (सौ. डिजाइन फोटो )
मुंबई : मार्केट रेग्यूलेटर सेबी ने रजिस्टर्ड मिडिएटर्स के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। बुधवार को कहा है कि उसने सिक्योरिटी मार्केट के अंदर फाइनेंशियल ट्रांसेक्शन की सिक्योरिटी और पहुंच में सुधार लाने के लिए इंवेस्टर्स से पैसा जमा करने वाले सभी रजिस्टर्ड बिचौलियों के लिए एक नई यूपीआई पेमेंट सिस्टम को जरूरी कर दिया है।
रजिस्टर्ड मिडिएटर्स में शेयर ब्रोकर, मर्चेंट बैंकर, डिपॉजिटरी, निवेश सलाहकार और पोर्टफोलियो मैनेजर शामिल हैं। ये मध्यस्थ फाइनेंशियल मार्केट्स में निवेशकों और अलग-अलग यूनिट्स के बीच कड़ी की तरह काम करते हैं।
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड यानी सेबी के प्रमुख तुहिन कांत पांडेय ने यहां पत्रकारों को बताया कि यह एकीकृत भुगतान प्रणाली यानी यूपीआई पेमेंट सिस्टम 1 अक्टूबर, 2025 से एक्टिवेट हो जाएगी। हाल के सालों में कई नॉन रजिस्टर्ड इंस्टीट्यूट्स ने धोखाधड़ी के माध्यम से इंवेस्टर्स को गुमराह किया है। इन्हीं को ध्यान में रखते हुए सेबी ने यह कदम उठाया है।
फर्जी तरीके से पहचान के उपयोग की समस्या से बचने और इंवेस्टर्स का विश्वास बढ़ाने के लिए मार्केट रेग्यूलेटर्स ने इंवेस्टर्स से पैसा जमा करने वाले सभी रजिस्टर्ड बिचौलियों के लिए एक नए यूपीआई पता संरचना को अनिवार्य कर दिया है। पांडेय ने कहा है कि यह इनोवेटिव मैकेनिज्म वेरिफिकेशन और सुरक्षित भुगतान माध्यम देकर सिक्योरिटी मार्केट के अंदर फाइनेंशियल ट्रांसेक्शन की सिक्योरिटी और पहुंच में महत्वपूर्ण रूप से सुधार करने के लिए तैयार है।
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इंवेस्टर्स को मजबूत बनाने के लिए मार्केट रेग्यूलेटर ‘सेबी चेक’ नाम की एक नई क्षमता विकसित कर रहा है। यह नया साधन क्यूआर कोड स्कैन कर या यूपीआई आईडी दर्ज करके और रजिस्टर्ड मिडिएटर्स के अकाउंट नंबर एवं आईएफएससी कोड जैसे बैंक स्टेटमेंट की पुष्टि करके यूपीआई पहचान की प्रामाणिकता को वेरिफिकेशन करने में सक्षम करेगा। सेबी ने जनवरी में इस संबंध में एक परामर्श पत्र जारी किया था। उस पर आए सुझावों को ध्यान में रखते हुए यह व्यवस्था की गई है।
(एजेंसी इनपुट के साथ)