शक्तिकांत दास (सौजन्य : सोशल मीडिया)
मुंबई : रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया यानी आरबीआई ने शुक्रवार को हुई वित्त वर्ष 2024-25 की 5वीं द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में लगातार 11 वीं बार नीतिगत रेपो रेट को पहले की ही तरह स्थिर रखा है और इसमें किसी भी प्रकार का कोई बदलाव नहीं किया गया है। रेपो रेट की दर को 6.5 प्रतिशत पर बरकरार रखा गया है।
आरबीआई ने देश की मौजूदा आर्थिक परिस्थिति को देखते हुए इकोनॉमिक ग्रोथ रेट के अनुमान को 7.2 प्रतिशत से घटाकर 6.6 प्रतिशत तक कर दिया है। साथ ही आरबीआई ने इस चालू वित्त वर्ष 2024-25 के खुदरा मुद्रास्फीति के अनुमान को 4.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 4.8 प्रतिशत तक होने का अनुमान लगाया है।
आरबीआई के गवर्नर शक्तिकान्त दास ने मौद्रिक नीति समिति यानी एमपीसी की बुधवार को शुरू हुई तीन दिवसीय बैठक में लिए गए इन फैसलों की जानकारी दी। उन्होंने कहा है कि एमपीसी ने नीतिगत रेपो दर को पहले की ही तरह स्थिर रखने का फैसला लिया गया है। समिति के 6 में से 4 सदस्यों ने नीतिगत दर को स्थिर रखने के पक्ष में मतदान किया जबकि दो इसमें बदलाव किए जाने के पक्ष में थे।
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इसके साथ ही एमपीसी ने अपने रुख को ‘तटस्थ’ बनाये रखने का फैसला लिया है। रेपो वह ब्याज दर होती है, जिस पर कमर्शियल बैंक अपनी तात्कालिक जरूरतों को पूरा करने के लिये केंद्रीय बैंक यानी आरबीआई से कर्ज लेते हैं। आरबीआई मुद्रास्फीति को काबू में रखने के लिये इस दर का उपयोग करता है। रेपो दर के यथावत रहने का मतलब है कि मकान, वाहन समेत विभिन्न कर्जों पर मासिक किस्त यानी ईएमआई में बदलाव की संभावनाएं काफी कम है।
आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कैश रिजर्व रेश्यो में 50 बेसिस प्वाइंट घटाने का ऐलान किया है। सीआरआर को 4.50 प्रतिशत से घटाकर 4 प्रतिशत तक कर दिया गया है। सीआरआर में कटौती को 2 चरणों में लागू किया जाने वाला है। इस कटौती के कारण बैंकिंग सिस्टम में 1.16 लाख करोड़ रुपये अतिरिक्त कैश जमा हो सकता है।