पर्सनल लोन की मांग क्यों बढ़ी (सोर्स- सोशल मीडिया)
Personal loan smart usage: आर्थिक अनिश्चितता के दौर में पर्सनल लोन लोगों के लिए सहारा बनकर उभरे हैं। मेडिकल इमरजेंसी, आय में कमी या बिजनेस नुकसान जैसी परिस्थितियों में ये तेजी से समाधान देते हैं। बिना गारंटी और तुरंत मंजूरी मिलने के कारण इनकी लोकप्रियता लगातार बढ़ रही है। विशेषज्ञों के अनुसार, समझदारी से उपयोग करने पर पर्सनल लोन वित्तीय सुधार का बड़ा माध्यम बन सकते हैं।
भारत में पर्सनल लोन की मांग लगातार बढ़ रही है। आर्थिक संकट का सामना कर रहे लोगों के लिए यह अब एक भरोसेमंद विकल्प बनते जा रहे हैं। अचानक आए खर्च, नौकरी खोने का जोखिम, मेडिकल आपातकाल या बिजनेस में नुकसान जैसी परिस्थितियों में पर्सनल लोन तेजी से उपलब्ध होने वाला समाधान साबित हुआ है।
पर्सनल लोन की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इन्हें लेने के लिए किसी सिक्योरिटी या गारंटी की जरूरत नहीं होती। ये बेहद कम समय में अप्रूव होकर सीधे अकाउंट में ट्रांसफर हो जाते हैं, जिससे अचानक की जरूरतों को तुरंत पूरा किया जा सकता है। इनका रीपेमेंट टेन्योर 1 से 5 साल तक रहता है और EMI को आय के अनुसार एडजस्ट किया जा सकता है।
2025 तक कई बैंक और NBFC 9.99% से 10.80% तक की ब्याज दर पर पर्सनल लोन दे रहे हैं, बशर्ते क्रेडिट स्कोर मजबूत हो। Credgenics के को-फाउंडर और CEO ऋषभ गोयल के मुताबिक, पर्सनल लोन लोगों को दोबारा खड़े होने का मौका देते हैं और अनुशासित EMI भुगतान वित्तीय स्थिरता मजबूत करता है।
लोन लेने का उद्देश्य स्पष्ट होना चाहिए, जैसे बिजनेस रीस्टार्ट, कर्ज चुकाना या मेडिकल जरूरतें। विभिन्न बैंकों और NBFC की ब्याज दरें, प्रोसेसिंग शुल्क और शर्तें तुलना करके ही निर्णय लें। समय पर EMI भुगतान से न केवल कर्ज प्रबंधन आसान होता है बल्कि क्रेडिट स्कोर भी सुधरता है।
बढ़ती मांग के बावजूद कुछ जोखिम भी जुड़े हैं। उच्च ब्याज दर, लंबी अवधि का कर्ज, अतिरिक्त फीस और EMI चूकने की स्थिति में क्रेडिट स्कोर खराब हो सकता है। बिना योजना लोन लेना वित्तीय बोझ बढ़ा सकता है, इसलिए जरूरत और क्षमता के अनुसार ही लोन लेना समझदारी है।
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सही सलाह, मजबूत आर्थिक अनुशासन और समय पर भुगतान, पर्सनल लोन को वित्तीय अस्थिरता को अवसर में बदलने का साधन बना सकते हैं। यही कारण है कि यह सिर्फ कर्ज नहीं बल्कि नई शुरुआत का अवसर बनकर सामने आ रहा है।