सोलर एनर्जी (सौजन्य : सोशल मीडिया)
नई दिल्ली : भारत सोलर और रिन्यूऐबेल एनर्जी के मामले में काफी आगे निकल गया है। इसी कड़ी में इंडस्ट्रियल यूनिट नेशनल सोलर एनर्जी फेडरेशन ऑफ इंडिया यानी एनएसईएफआई ने ये कहा है कि भारत की 100 गीगावाट सोलर कैपिसिटी स्थापित करने की उपलब्धि विकसित और विकासशील देशों को एनर्जी ट्रांसफॉर्मेशन में तेजी लाने के प्रेरित करेगी।
शुक्रवार को केंद्रीय नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री प्रल्हाद जोशी ने कहा कि भारत ने स्वच्छ एवं हरित भविष्य के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता से प्रेरित होकर 100 गीगावाट सोलर क्षमता की ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल कर ली है। एनएसईएफआई के मुख्य कार्यपालक अधिकारी यानी सीईओ सुब्रह्मण्यम पुलिपका ने कहा है कि चीन, अमेरिका और जर्मनी के बाद भारत 100 गीगावाट का मील का पत्थर पार करने वाला चौथा सबसे बड़ा देश है। हालांकि, हम जर्मनी से थोड़े अंतर से पीछे हैं, लेकिन हम जल्द ही दुनिया में तीसरा सबसे बड़ा सौर बाज़ार बन जाएंगे। यह उपलब्धि यह सीखने और समझने में कई देशों (विकसित और विकासशील दोनों), खासकर वैश्विक दक्षिण के लिए प्रेरणा है कि त्वरित ऊर्जा संक्रमण को कैसे सक्षम किया जाए।
उन्होंने कहा कि यह प्रगति भारत की क्लाइमेट लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में एक नए युग की शुरुआत है। पुलिपका ने कहा है कि भारत के एनर्जी ट्रांसिशन परिदृश्य में पिछले 10 सालों में रिन्यूऐबेल एनर्जी क्षमता स्थापित करने में तेजी देखी गई है। साल 2014 में देश में सौर ऊर्जा स्थापना सिर्फ 3 गीगावाट थी।
यह उपलब्धि सहायक सरकारी नीतियों द्वारा समर्थित व्यापार-अनुकूल माहौल का रिजल्ट है। भारत अगले वित्त वर्ष में 35-40 गीगावाट सोलर कैपिसिटी क्षमता जोड़ेगा और फिर 2026-27 में इसे 40-45 गीगावाट तक बढ़ाएगा। उपयोगिता पैमाने के प्रयासों से संबंधित गतिविधि के अलावा, नवीकरणीय ऊर्जा के लिए कमर्शियल और इंडस्ट्रियल उपयोग में भी सकारात्मक रुझान है, जो उत्साहजनक है।
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केंद्र सरकार की प्रमुख योजनाएं – पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना और पीएम कुसुम भी क्षमता वृद्धि में महत्वपूर्ण योगदान दे रही हैं। एनएसईएफआई रिन्यूऐबल एनर्जी के लिए भारत का सबसे बड़ा संगठन है और यह सोलर पीवी, पवन ऊर्जा, ऊर्जा भंडारण, हरित हाइड्रोजन, लघु जलविद्युत और जैव ऊर्जा उद्योग का प्रतिनिधित्व करता है।
(एजेंसी इनपुट के साथ)