आईसीआईसीआई बैंक (सौजन्य : सोशल मीडिया)
नई दिल्ली : नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया यानी एनपीसीआई ने 5-6 बैंकों के साथ मिलकर नेट बैंकिंग के तरीके में बदलाव लाने को लेकर योजना तैयार की है। इस योजना के अंतर्गत नेट बैंकिंग और मोबाइल बैंकिंग को आपस में जोड़कर इंटरऑपरेबिलिटी की शुरूआत की जाने वाली है। सूत्रों के अनुसार, हालांकि इसको लेकर अभी पहले चरण की शुरूआती तारीख भी तय नहीं हुई है, ये काम आने वाले महीने में ये शुरू हो जाएगा। इस योजना में बाकी बैंक बाद में शामिल हो सकते हैं। बैंकिंग सेक्टर को लेकर ये पहल इससे पहले एनपीसीआई भारत बिलपे के द्वारा चलायी जा रही थी। ये मुंबई में स्थित एक सब्सिडरी कंपनी है।
इकोनॉमिक्स टाइम्स से जुड़े एक सूत्र ने ये जानकारी दी है कि इस योजना के लिए आईसीआईसीआई बैंक और एचडीएफसी बैंक तेजी से काम कर रहे हैं। आने वाले समय में इसमें 3-4 बैंक और जुड़ सकते हैं। हालांकि इय योजना की शुरूआत कब की जाने वाली है, ये अभी तय नहीं है। ये कहा जा रहा है कि पहले चरण के बैंक इस योजना को जल्द ही शुरू करेगें।
बिजनेस की अन्य खबरें पढ़ने के लिए यहां पर क्लिक करें
इस योजना के अंतर्गत जब नेट बैंकिंग और मोबाइल बैंकिंग के बीच आपस में इंटरऑपरेबिलिटी की शुरूआत हो जाएगी, तो इससे ग्राहक ई-कॉमर्स वेबसाइट से शॉपिंग करते समय किसी भी बैंक के नेट बैकिंग से पेमेंट कर पाएंगे। एक सूत्र ने ये जानकारी दी है कि फिलहाल जो परिस्थिति है उसमें बैंकों को पेमेंट के लिए एग्रीगेटर्स से करार करना पड़ता है, जिसके कारण व्यापारियों को नेट बैंकिंग पेमेंट के लिए जोड़ सकते हैं। जब मोबाइल बैंकिंग और नेट बैंकिंग का आपस में जुड़ाव हो जाएगा, तो इससे होने वाली समस्याएं भी खत्म हो जाएगी। जिससे ये फायदा होगा कि हर बैंक का पेमेंट हर जगह मान्य हो जाएगा। जिसके कारण यूपीआई पर आने वाला दबाव भी कम हो जाएगा। पिछले कुछ सालों से यूपीआई का चलन बढ़ने से इस पर बढ़ने वाले दबाव की मात्रा भी बढ़ी है, जिसके कारण डेबिट कार्ड और नेट बैंकिंग के द्वारा किए जाने वाले ट्रांसेक्शन भी घटे हैं।
इससे संबंधित जानकारों ने कहा है कि बीमा प्रीमियम या टैक्स जैसे बड़े पेमेंट के लिए लोग अपने बैंक के ऐप या वेबसाइट से पेमेंट करते हैं। इनसे ट्रांसेक्शन करने की दर सफल रही है, इसीलिए बड़े पेमेंट करने के लिए ये तरीका फायदेमंद और भरोसेमंद साबित हो सकता है।