रियल एस्टेट सेक्टर (सौ. सोशल मीडिया )
नई दिल्ली : भारत के टॉप 7 लीडिंग शहरों में हाउसिंग सेल्स को लेकर एक अहम जानकारी दी गई है। बताया जा रहा है कि पहले 6 महीनों में हाउसिंग सेल्स घटने के बीच में रियल एस्टेट कंपनियों के यूनिट नारेडको ने शुक्रवार को हाउसिंग लोन पर इंटरेस्ट रेट को घटाकर 6 प्रतिशत के पास लाने की सलाह दी है।
नारेडको के अध्यक्ष जी हरि बाबू ने हाउसिंग सेल्स में आयी गिरावट के लिए घरों की सप्लाई में बढ़त, रेसिडेंशियल प्रॉपर्टी की कीमतों में तेज ग्रोथ और ग्लोबल आर्थिक अनिश्चितताओं को जिम्मेदार ठहराया। रियल एस्टेट डेटा विश्लेषक फर्म प्रॉपइक्विटी ने 9 प्रमुख शहरों में अप्रैल-जून तिमाही के दौरान घरों की बिक्री में 19 प्रतिशत और जनवरी-मार्च तिमाही में 23 प्रतिशत की गिरावट आने की सूचना दी है।
सेल्स में आयी गिरावट के कारण के बारे में पूछे जाने पर नारेडको अध्यक्ष ने कहा है कि पिछले 3 सालों में घरों की कीमतों में उल्लेखनीय वृद्धि होने से संभावित ग्राहकों की घर खरीदने की क्षमता प्रभावित हुई है।
हरि बाबू ने संगठन की महिला इकाई ‘नारेडको-माही’ द्वारा आयोजित एक सम्मेलन में कहा कि लोगों का वेतन इतना नहीं बढ़ा है कि वे घरों की कीमतों में हुई बढ़ोतरी से मेल खा सकें। इसके अलावा हैदराबाद सहित कई शहरों में घरों की आपूर्ति भी बढ़ी है। हरि बाबू ने बताया कि वैश्विक राजनीतिक एवं आर्थिक अनिश्चितताओं ने भी घर खरीदारों की धारणा पर असर डाला है। उन्होंने जुलाई-सितंबर की तिमाही में भी घरों की मांग कम रहने की आशंका जताई है।
रेपो रेट में टोटल 1 परसेंट की कटौती किए जाने के आरबीआई के फैसले के प्रभाव के बारे में पूछे जाने पर हरि बाबू ने कहा कि इससे निश्चित रूप से ग्राहकों को हल्की राहत मिली है क्योंकि उनके कर्ज की मासिक किस्त यानी ईएमआई 7.5-8 प्रतिशत तक कम हो जाएगी। उन्होंने कहा है कि हालांकि घरों की डिमांड को बढ़ावा देने के लिए होम लोन पर ब्याज दरें कम होकर लगभग 6 प्रतिशत होनी चाहिए।
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नारेडको अध्यक्ष ने आवासीय परियोजनाओं के निर्माण के लिए अधिक जमीन उपलब्ध कराने के लिए बड़े और मझोले शहरों में झुग्गियों के पुनर्विकास के लिए एक नई नीति की भी वकालत की। उन्होंने कहा है कि कोविड महामारी के बाद भूमि की लागत तेजी से बढ़ी है। उच्च भूमि लागत ने डेवलपरों के लिए किफायती घर बनाना मुश्किल बना दिया है।
(एजेंसी इनपुट के साथ)