लेदर शूज (सौ. सोशल मीडिया )
नई दिल्ली : भारत के लेदर, नॉन लेदर जूते और प्रोडक्ट्स का एक्सपोर्ट सालाना आधार पर 25 प्रतिशत से बढ़कर वित्त वर्ष 2024-25 में 5.7 अरब डॉलर का हो गया है। ऐसी उम्मीद जतायी जा रही है कि चालू वित्त वर्ष में एक्सपोर्ट 6.5 अरब डॉलर के आंकड़े को पार कर सकता है। एक्सपोर्टर के यूनिट सीएलई ने सोमवार को इस बात की भी जानकारी दी है।
चमड़ा निर्यात परिषद यानी सीएलई ने कहा कि विकसित और विकासशील दोनों देशों ओर से डिमांड कहीं बेहतर है। सीएलई के कार्यकारी निदेशक आर सेल्वम ने कहा है कि वित्त वर्ष 2024-25 में, हमने, कॉमर्स डिपार्टमेंट के द्वारा निर्धारित टारगेट को 1 अरब डॉलर ज्यादा के साथ पार कर लिया है और इस प्रवृत्ति को देखते हुए, हमारा एक्सपोर्ट वित्त वर्ष 2025-26 में 6.5 अरब डॉलर के लेवल को पार कर जाएगा।
उन्होंने कहा कि ग्लोबल अनिश्चितताओं के बाद भी यह सेक्टर आगे बढ़ रहा है। इसी तरह सीएलई के चेयरमैन राजेंद्र कुमार जालान ने कहा कि भारत के प्रमुख एक्सपोर्ट डेस्टिनेशन – अमेरिका और ब्रिटेन दोनों में एक्सपोर्ट अच्छा चल रहा है।
जालान ने कहा कि 10 प्रतिशत टैरिफ बढ़त के कारण सभी एक्सपोर्टर्स खरीदारों को छूट दे रहे हैं, लेकिन कोई ऑर्डर कैंसिल नहीं हुआ है। उन्होंने कहा है कि 14-15 अप्रैल से स्थिति नॉर्मल है। हमने अमेरिका के साथ प्रस्तावित द्विपक्षीय व्यापार समझौते यानी बीटीए में सरकार को ‘शून्य-के-लिए-शून्य’ टैरिफ का सुझाव दिया है।
उन्होंने कहा कि आने वाले महीनों के लिए ऑर्डर बुक अच्छी है और अमेरिका और ब्रिटेन से भारी डिमांड आ रही है। उन्होंने बताया कि यह इंडस्ट्री, श्रम गहनता वाला है, जो लगभग 42 लाख लोगों को रोजगार प्रदान करता है। इस सेक्टर का टोटल कारोबार लगभग 19 अरब डॉलर का है, जिसमें 5 अरब डॉलर का एक्सपोर्ट भी शामिल है।
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इंडस्ट्री के अनुसार, इस सेक्टर में साल 2030 तक लगभग 39 अरब डॉलर का टोटल बिजनेस तक पहुंचने की क्षमता है, जिसमें 25 अरब डॉलर का डोमेस्टिक प्रोडक्शन और 13.7 अरब डॉलर का एक्सपोर्ट बिजनेस शामिल होगा। इंडस्ट्री ने यह भी कहा कि कई चीनी इंवेस्टर्स भारत में मैन्युफैक्चरिंग यूनिट स्थापित करने के लिए इंडियन फुटवियर कंपनियों के साथ हाथ मिलाने के इच्छुक हैं।
(एजेंसी इनपुट के साथ)