रियल एस्टेट सेक्टर (सौ. सोशल मीडिया )
नई दिल्ली : भारत के टॉप 8 मेट्रो सिटीज के रियल एस्टेट से जुड़ी एक रिपोर्ट जारी की गई है। इस रिपोर्ट के अनुसार, मुंबई में घर खरीदने के लिहाज से सबसे महंगा है, लेकिन हाल ही में आरबीआई के द्वारा रेपो रेट में कटौती के कारण मुंबई में साल 2010 के बाद से सबसे ज्यादा किफायती बन गया है।
रियल एस्टेट सलाहकार फर्म नाइट फ्रैंक इंडिया ने ‘सामर्थ्य सूचकांक’ शीर्षक से जारी अपनी रिपोर्ट में कहा कि मुंबई सूचकांक के इतिहास में पहली बार 50 प्रतिशत के स्तर से नीचे आया है, जिसे सामर्थ्य की बाहरी सीमा माना जाता है। मुंबई में सामर्थ्य सूचकांक वर्ष 2025 की पहली छमाही में 48 प्रतिशत पर आ गया जो वर्ष 2024 में 50 प्रतिशत पर था। यह 2010 के बाद से सबसे कम सामर्थ्य स्तर है जब सूचकांक लगभग 95 प्रतिशत था।
यह सूचकांक आवासीय ऋण की समान मासिक किस्त यानी ईएमआई को एक औसत घर के लिए जरूरी आय के अनुपात में मापता है। ईएमआई एवं आय के बीच 50 प्रतिशत से अधिक अनुपात को सामर्थ्य से बाहर माना जाता है क्योंकि इस सीमा के आगे बैंक शायद ही कभी कर्ज देते हैं।
सलाहकार फर्म ने कहा है कि अहमदाबाद टॉप आठ शहरों में सबसे किफायती आवास बाजार है, जिसमें 18 प्रतिशत का अनुपात है। इसके बाद पुणे 22 प्रतिशत और कोलकाता 23 प्रतिशत पर है। मुंबई सबसे कम किफायती शहर है जिसमें 48 प्रतिशत का सामर्थ्य स्तर है। हालांकि, इस साल के पहले 6 महीनों में रेपो दर में कुल एक प्रतिशत की कटौती होने से लोगों के घर खरीदने के सामर्थ्य में सुधार देखा गया है।
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जनवरी-जून, 2025 के दौरान सामर्थ्य सूचकांक क्रमशः बेंगलुरु और हैदराबाद में 27 प्रतिशत और 30 प्रतिशत पर सपाट रहा। चेन्नई में सामर्थ्य सूचकांक 24 प्रतिशत पर रहा। दिल्ली-एनसीआर बाजार में सूचकांक 28 प्रतिशत रहा, जो पिछले साल 27 प्रतिशत था।
(एजेंसी इनपुट के साथ)