डिफेंस सेक्टर (सौ. सोशल मीडिया )
भारत जिसने हाल ही में पाकिस्तान को उसकी औकात याद दिलवा कर पूरी दुनिया में अपना लोहा मनवाया है। हमारे सैन्य हथियारों की ताकत देख दुश्मन देश के भी पसीने छूट गए। सुदर्शन एस 400, ब्रह्मोस से लेकर राफेल तक ने भारत की रक्षा प्रणाली का मजबूती से प्रदर्शन किया है।
आपको बता दें कि ऐसा इसीलिए ही संभव हो पाया है क्योंकि पिछले कुछ सालों में भारत ने अपनी रक्षा तैयारियों को मजबूत करने के लिए आवश्यक कदम उठाए हैं। साल 2013-14 के बीच में जहां देश का डिफेंस बजट 2.53 लाख करोड़ था, वहीं अब बढ़कर साल 2025-26 में बढ़कर 6.81 लाख करोड़ रुपये हो गया है। इससे बढ़ोतरी से ना सिर्फ भारत की सुरक्षा को लेकर गंभीरता के बारे में पता चलता है, बल्कि आत्मनिर्भर भारत की ओर एक बड़ा कदम माना जा रहा है।
मोदी सरकार का ये मानना है कि रणनीतिक सुधारों, प्राइवेट कंपनियों की पार्टनरशिप और टेक्निकल इनोवेशन के चलते भारत में स्वदेशी रक्षा उत्पादन को नई रफ्तार मिली है। डिफेंस सेक्टर में ये बढ़त अब सिर्फ देश की सीमाओं की रक्षा करने तक सीमित नहीं रही है, बल्कि भारत को दुनिया के सामने एक ट्रस्टेड डिफेंस एक्सपोर्ट के रुप में भी पहचान मिली है।
रक्षा मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, भारत अब कई देशों को डिफेंस इक्वीप्मेंट और टेक्नोलॉजी एक्सपोर्ट कर रहा है। मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत अभियानों के कारण से देश में डिफेंस सेक्टर में प्राइवेट इंवेस्टमेंट बढ़ा है और रोजगार के नए अवसर भी पैदा हो रहे हैं।
एक्सपर्ट्स की राय है कि डिफेंस बजट में यह बढ़ोतरी केवल सुरक्षा की दृष्टि से नहीं, बल्कि देश की इकोनॉमिक ग्रोथ में भी अहम भूमिका निभा रही है। डिफेंस प्रोडक्शन में आत्मनिर्भरता से इंपोर्ट पर निर्भरता घटेगी, जिससे विदेशी मुद्रा की बचत भी होगी।
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पिछले कुछ सालों से भारत लगातार अपनी सैन्य ताकतों को बढ़ा रहा है। फिर चाहे वो राफेल डील हो या फिर कोई और हो। भारत अपनी सेनाओं को एडवांस हथियारों से लैस करने में बिल्कुल भी पीछे नहीं हट रहा है। वर्तमान समय में भारत के पास कई ऐसे घातक हथियार हैं, जो दुश्मन की सेना के होथ उड़ाने के लिए काफी है।